नोएडा से गुरुग्राम 45 मिनट में… दिल्ली मेट्रो के 3 नए रूट कैसे सफर बना देंगे आसान?
दिल्ली मेट्रो के फेज-5A को केंद्र सरकार से मंजूरी मिलने के बाद दिल्ली-एनसीआर के लाखों लोगों का सफर पहले से और ज्यादा आसान हो जाएगा.इस नए फेज के तहत मेट्रो के तीन नए रूट विकसित किए जाएंगे, जिससे नोएडा, फरीदाबाद, गुरुग्राम और दिल्ली एयरपोर्ट के बीच कनेक्टिविटी पहले से कहीं ज्यादा मजबूत हो जाएगी. इस विस्तार का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि यात्रियों को अब लंबा और घुमावदार रास्ता तय नहीं करना पड़ेगा, जिससे यात्रा का समय काफी कम हो जाएगा और सफर अधिक सुविधाजनक बनेगा.
.इन कॉरिडोर के शुरू होने के बाद नोएडा, फरीदाबाद और गुरुग्राम जैसे प्रमुख शहरों से दिल्ली एयरपोर्ट तक सीधी और आसान पहुंच संभव हो सकेगी. इससे न केवल रोजाना यात्रा करने वाले यात्रियों को राहत मिलेगी, बल्कि व्यावसायिक और अंतरराष्ट्रीय यात्राओं के लिए भी यह कनेक्टिविटी बेहद उपयोगी साबित होगी.
23.622 किलोमीटर लंबी गोल्डन लाइन पर तेजी से काम चल रहा है, जिसमें से लगभग 65 प्रतिशत निर्माण कार्य पूरा किया जा चुका है. इस पूरे रूट पर कुल 15 मेट्रो स्टेशन बनाए जा रहे हैं, जो आसपास के रिहायशी और व्यावसायिक इलाकों को मेट्रो नेटवर्क से जोड़ेंगे. योजना के तहत एरोसिटी से एयरपोर्ट टर्मिनल-1 तक 2.3 किलोमीटर लंबा भूमिगत कॉरिडोर प्रस्तावित है, जिससे एयरपोर्ट तक पहुंच और अधिक सुगम होगी. वहीं, तुगलकाबाद से कालिंदी कुंज तक एलिवेटेड मेट्रो कॉरिडोर बनाया जाएगा, जो दक्षिणी दिल्ली और एनसीआर के बीच आवागमन को बेहतर बनाएगा.
एरोसिटी बनेगा बड़ा इंटरचेंज स्टेशन
फेज-5A के तहत एरोसिटी मेट्रो स्टेशन को एक बड़े इंटरचेंज स्टेशन के रूप में विकसित किया जाएगा. वर्तमान में एयरपोर्ट एक्सप्रेस लाइन पर द्वारका सेक्टर-21 और नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के बीच कोई बड़ा इंटरचेंज स्टेशन मौजूद नहीं है. एरोसिटी के इंटरचेंज बनने से दक्षिणी दिल्ली, नोएडा, फरीदाबाद और गुरुग्राम से आने वाले यात्रियों को एयरपोर्ट और अन्य मेट्रो लाइनों तक सीधी कनेक्टिविटी मिलेगी. इससे हौज खास जैसे अत्यधिक भीड़भाड़ वाले स्टेशनों पर यात्रियों का दबाव भी कम होगा.
कालिंदी कुंज से तुगलकाबाद तक एलिवेटेड कॉरिडोर
दूसरी ओर, तुगलकाबाद से कालिंदी कुंज तक एलिवेटेड मेट्रो कॉरिडोर का निर्माण भी गोल्डन लाइन का अहम हिस्सा होगा. इस कॉरिडोर को फेज-4 की परियोजनाओं के साथ ही पूरा करने की योजना है. टेंडर प्रक्रिया समय पर पूरी होने की स्थिति में इस रूट पर निर्माण कार्य तेजी से आगे बढ़ेगा.
फेज-4 और फेज-5A की सभी परियोजनाएं पूरी होने के बाद दिल्ली मेट्रो नेटवर्क 475 किलोमीटर से बढ़कर 500 किलोमीटर से अधिक हो जाएगा. इससे एनसीआर के अधिकांश इलाकों में मेट्रो की पहुंच सुनिश्चित होगी, सड़कों पर ट्रैफिक का दबाव घटेगा और प्रदूषण में भी कमी आने की उम्मीद है.