MIG-21 के रिटायरमेंट से खुला भारतीय वायुसेना का गेप, तेजस डिलीवरी में देरी बनी सबसे बड़ी चिंता का कारण
भारतीय वायुसेना में 60 साल से अधिक समय तक सेवा दे चुके मिग-21 लड़ाकू विमानों की श्रृंखला इस साल सितंबर में सेवानिवृत्त हो जाएगी। कारगिल से लेकर बालाकोट एयरस्ट्राइक तक अहम भूमिका निभाने वाले सोवियत मूल के इस विमान का इतिहास काफी पेचीदा रहा है। विभिन्न संघर्षों में अहम भूमिका निभाने के बावजूद लगातार पुराने होते हार्डवेयर के कारण इस फाइटर जेट को कभी उड़ता ताबूत कहा जाता था। इसके बावजूद, विदेशी लड़ाकू विमानों की खरीद में कमी और भारत के स्वदेशी फाइटर जेट - तेजस एमके-1 के निर्माण में देरी के कारण भारतीय वायुसेना लंबे समय तक मिग-21 को सेवानिवृत्त करने से बचती रही। भारत ने विभिन्न वैरिएंट के 700 मिग-21 विमान खरीदे थे। इनमें टाइप-77, टाइप-96, बीआईएस और बाइसन शामिल थे। समयसीमा के अनुसार, मिग-21 को 2022 तक सेवानिवृत्त किया जाना था। वह भी तब जब 2017 से 2024 के बीच मिग-21 के चार स्क्वाड्रन सेवानिवृत्त हो चुके हैं। अब जब मिग-21 की सेवानिवृत्ति नज़दीक आ रही है, तो यह जानना ज़रूरी है कि भारतीय वायुसेना के पास कौन-कौन से विमान हैं और मौजूदा स्क्वाड्रनों की ताकत कितनी है? सितंबर के बाद भारत के पास कितने विमान और स्क्वाड्रन होंगे? और कौन-कौन से विमान सेवानिवृत्त हो रहे हैं? भारत इन विमानों की कमी को कब तक और कैसे पूरा करने की योजना बना रहा है? इसमें देरी क्यों हो रही है? पड़ोसी देशों चीन और पाकिस्तान की तुलना में भारतीय वायुसेना के विमानों के आंकड़े क्या हैं? आइए जानते हैं...
मिग-21 की कमी को पूरा करने के लिए भारत कैसे तैयारी कर रहा है?
भारत पिछले कई सालों से तेजस हल्के लड़ाकू विमान (LCA) के निर्माण की तैयारी कर रहा है। इस परियोजना को 1983 में मंज़ूरी मिली थी। इसके निर्माण की समय सीमा 1994 तय की गई थी। कई प्रतिबंधों और आपूर्ति में समस्याओं के कारण, यह परियोजना लगातार स्थगित हो रही है। वर्तमान में, भारत के पास तेजस मार्क-1 के केवल दो स्क्वाड्रन ही सेवा में हैं। इनमें भी कुल 38 जेट हैं। हालाँकि, तेजस मार्क-1 में कुछ कमियाँ हैं, जिन्हें तेजस के अगले संस्करण, मार्क-1ए के ज़रिए पूरा किया जाना था। फरवरी 2021 में, केंद्र सरकार ने तेजस एमके-1ए लड़ाकू विमान के निर्माण का ठेका भी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड को सौंप दिया था। तब तय हुआ था कि भारत को पहला तेजस एमके-1ए मार्च 2024 तक मिल जाएगा। लेकिन अब 2025 के मध्य तक भी भारत को कोई तेजस एमके-1ए नहीं मिला है।
एचएएल के अनुसार, देरी का मुख्य कारण जनरल इलेक्ट्रिक्स से जीई-404 का इंजन मिलने में देरी है। एचएएल के पास वर्तमान में छह तेजस एमके-1ए एयरफ्रेम हैं, लेकिन उनमें इंजन की कमी के कारण लड़ाकू विमान तैयार नहीं हो पाया है। जीई ने भी अभी तक केवल एक इंजन उपलब्ध कराया है और कहा है कि वह मार्च 2026 तक 12 इंजन उपलब्ध कराएगा। इसके कारण, पायलटों के प्रशिक्षण और उन्हें सक्रिय सेवा में लाने में देरी होने की संभावना है।
भारत को अब तेजस मिलने की समय-सीमा क्या है?
रिपोर्ट्स की मानें तो, एचएएल ने पहले भारतीय वायुसेना को हर साल 16 लड़ाकू विमान उपलब्ध कराने की समय-सीमा तय की थी। इस लिहाज से भारत के पास 2029 तक तेजस मार्क-1ए के 83 विमान यानी चार स्क्वाड्रन होते। हालाँकि, अब विमान के निर्माण में देरी के कारण यह समय-सीमा और बढ़ गई है।
हालांकि, एचएएल ने लड़ाकू विमान उपलब्ध कराने के लिए नासिक समेत तीन और केंद्रों पर जल्द ही उत्पादन शुरू करने का लक्ष्य रखा है, ताकि 2026 तक एचएएल वायुसेना को हर साल 30 लड़ाकू विमान उपलब्ध करा सके। अगर ऐसा संभव हुआ तो 83 लड़ाकू विमानों की पहली डिलीवरी 2029 तक पूरी हो सकती है। इस परियोजना के पूरा होने के बाद, एचएएल का लक्ष्य 2031 तक 67 हज़ार करोड़ रुपये मूल्य के 97 और एमके-1ए लड़ाकू विमानों की डिलीवरी पूरी करना है।
जब तक तेजस उपलब्ध नहीं होगा, भारत चीन-पाकिस्तान से कैसे मुकाबला करेगा?
पाकिस्तान के पास इस समय लगभग 450 लड़ाकू विमान हैं, जिससे उसके स्क्वाड्रनों की संख्या लगभग 25 हो जाती है। हालाँकि, पाकिस्तान को इस साल के अंत तक चीन से 40 पाँचवीं पीढ़ी के शेनयांग जे-35 लड़ाकू विमान मिलने वाले हैं। ऐसे में न केवल उसके स्क्वाड्रनों की संख्या बढ़ने की उम्मीद है, बल्कि उसके पास पाँचवीं पीढ़ी के विमान भी होंगे।रिपोर्ट्स के अनुसार, चीन की वायुसेना इस समय एशिया में सबसे मज़बूत है। चीन के पास कुल 66 स्क्वाड्रन हैं, जिनमें लगभग 1200 लड़ाकू विमान हैं। इनमें से कई पाँचवीं पीढ़ी के जे-20 हैं। दूसरी ओर, जे-35 लड़ाकू विमानों को भी जल्द ही सेवा में शामिल करने की तैयारी चल रही है, जिससे चीनी वायुसेना के पास लड़ाकू विमानों की संख्या तेज़ी से बढ़ेगी।
भारत तेजस एमके-1ए के ज़रिए अपने लड़ाकू विमानों और स्क्वाड्रनों की संख्या बढ़ाने में तेज़ी दिखा रहा है। हालाँकि, भारत के पास अभी पाँचवीं पीढ़ी का कोई लड़ाकू विमान नहीं है। उसे अमेरिका से एफ-35 और रूस से सुखोई-57 चेकमेट का प्रस्ताव मिला है। हालाँकि, इनकी खरीद पर विचार अभी भी जारी है। दूसरी ओर, भारत का अपना पाँचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान - एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) हासिल करने का कार्यक्रम 2035 तक भारतीय वायुसेना का हिस्सा बन सकता है।