One Nation One Election पर गरमाई बहस, पूर्व CJI चंद्रचूड़ बोले - 'चुनाव आयोग को बेलगाम ताकत नहीं दी जा सकती'
एक राष्ट्र, एक चुनाव के लिए 129वें संशोधन विधेयक पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की बैठक आज (11 जुलाई) संसद भवन में हुई। इस बैठक में भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जगदीश सिंह खेहर ने भी भाग लिया। उन्होंने बैठक के दौरान अपने विचार भी रखे। दोनों पूर्व मुख्य न्यायाधीशों ने इस बात पर ज़ोर दिया कि भारत के चुनाव आयोग को एक राष्ट्र, एक चुनाव प्रणाली को लागू करने में अनियंत्रित शक्तियाँ नहीं दी जानी चाहिए। इससे पहले, पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने भी प्रस्तावित संविधान संशोधन अधिनियम में चुनाव आयोग को दी गई "व्यापक शक्तियों" पर सवाल उठाया था। डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे.एस. खेहर ने संसदीय समिति को सुझाव दिया कि चुनावों के संचालन पर एक "निगरानी तंत्र" होना चाहिए।
'निर्वाचित सरकार का पाँच वर्ष का कार्यकाल आवश्यक'
एक न्यायाधीश ने यह भी कहा कि सुशासन के लिए निर्वाचित सरकार का पाँच वर्ष का कार्यकाल महत्वपूर्ण है। इसे (पाँच वर्ष के कार्यकाल को) किसी भी परिस्थिति में कम नहीं किया जाना चाहिए। संसद की संयुक्त समिति संविधान (एक सौ उनतीसवां संशोधन) विधेयक, 2024 और केंद्र शासित प्रदेश कानून (संशोधन) विधेयक, 2024 की जाँच कर रही है। आपको बता दें कि देश के दो अन्य पूर्व मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित और रंजन गोगोई भी समिति के समक्ष पेश हो चुके हैं। हालाँकि दोनों ने एक साथ चुनावों की संवैधानिकता पर सवाल नहीं उठाया, लेकिन उन्होंने विधेयक के कुछ पहलुओं पर सवाल उठाए और सुझाव दिए। भाजपा सांसद पीपी चौधरी की अध्यक्षता वाली संसद की संयुक्त समिति, राज्यों में विधानसभाओं और संसद के एक साथ चुनाव कराने के उद्देश्य से इस विधेयक पर अपनी सिफारिशें तैयार करने के लिए न्यायविदों और कानूनी विशेषज्ञों से बात कर रही है।
विधेयक में संशोधन की आवश्यकता हुई तो करेंगे: पीपी चौधरी
पूर्व मुख्य न्यायाधीशों के सुझावों पर पीपी चौधरी ने कहा, "जहाँ तक चुनाव आयोग के प्रावधान का सवाल है, अगर हमें लगता है कि विधेयक में संशोधन की आवश्यकता है, तो हम इसमें संशोधन करेंगे।" उन्होंने आगे कहा, "हम राष्ट्रहित में संशोधन करने के बाद ही अपनी रिपोर्ट संसद को भेजेंगे।" उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि "एक राष्ट्र, एक चुनाव प्रणाली राष्ट्र निर्माण के लिए आवश्यक है।" चौधरी ने यह भी कहा कि "यह ज़रूरी है कि विधेयक की संवैधानिकता बरकरार रहे ताकि यह व्यवस्था अगले सैकड़ों वर्षों तक जारी रह सके।"