अब 7.50 लाख से ज्यादा के निवेश पर लगेगा टैक्स
1 अप्रैल 2020 से नए वित्त वर्ष की शुरुआत होने जा रही है। इसके साथ ही कई नियमों में बड़ा बदलाव हो जाएगा। पैसों को लेकर कई नियम परिवर्तित हो जाएंगे। नए नियमों के अनुसार, EPS पेंशर्स को पहले के मुकाबले अधिक पेंशन मिलेगी। रिटायरमेंट के 15 साल बाद पूरी पेंशन के प्रावधान को सरकार ने बहाल कर दिया है। 2009 में सरकार ने सरकार ने इस नियम को वापस ले लिया था, लेकिन फिर से इसे शुरू किया गया है।
कर्मचारी भविष्य निधि योजना के तहत खाताधारकों के लिए पेंशन के एकमुश्त आंशिक निकासी के नियम को भी अमल में लाया गया है। 26 सितंबर 2008 से पहले रिटायर हुए ईपीएफओ पेंशनर्स के लिए ये फायदेमंद होगा। मोदी सरकार का बजट पेश करने के दौरान केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि टैक्स छूट के लिए नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS), कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) और रिटायरमेंट फंड में निवेश की संयुक्त ऊपरी सीमा 7.5 लाख रुपये तक के स्तर पर की गई है। तीनों में टैक्स छूट का फायदा मिलता आया है। 1 अप्रैल 2020 से नियम लागू होने जा रहा है। ऐसे में कोई कर्मचारी 1 वर्ष में निवेश 7.5 लाख से ज्यादा का करता है तो उस निवेश पर इनकम टैक्स लगेगा। दरअसल, बजट में अब इनकम टैक्स छूट के लिहाज से NPS और EPF में निवेश करने की सीमा को तय कर दिया गया है। ऐसे में अब इन पर भी टैक्स लगने की संभावना जताई जा रही है।
बजट 2020-21 में केंद्र सरकार ने वैकल्पिक दरों और स्लैब के साथ नई इनकम टैक्स व्यवस्था की शुरुआत की है। यह भी 1 अप्रैल से लागू हो जाएगी। इसके बाद छूट और कटौती के लाभ नहीं उठा सकेंगे। पुराने टैक्स स्लैब के हिसाब से भी आयकर दाता टैक्स दे सकते हैं। 5 लाख सालाना आय वाले कोई टैक्स नहीं देंगे। 5 से 7.5 लाख सालाना आय पर 10 प्रतिशत टैक्स देना होगा।
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1 अप्रैल 2020 से नए वित्त वर्ष की शुरुआत होने जा रही है। नए वित्त वर्ष में इनकम को लेकर कई नियमों में बड़ा बदलाव हो जाएगा। EPS पेंशर्स को पहले के मुकाबले अधिक पेंशन मिल सकेगी। रिटायरमेंट के 15 साल बाद पूरी पेंशन के प्रावधान को सरकार ने बहाल कर दिया है। बजट 2020-21 में केंद्र सरकार ने वैकल्पिक दरों और स्लैब के साथ नई आयकर व्यवस्था की शुरुआत की है। अब 7.50 लाख से ज्यादा के निवेश पर लगेगा टैक्स