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दिल्ली सरकार ध्वनि प्रदूषण मानदंडों को जमीनी स्तर पर लागू करे : एनजीटी

 

राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) ने दिल्ली सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि जन स्वास्थ्य और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए जमीनी स्तर पर ध्वनि प्रदूषण मानदंडों को लागू किया जाए। एनजीटी के अध्यक्ष आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए निर्देश दिए कि शहर के राजौरी गार्डन क्षेत्र में रेस्तरां और बार संचालन के दौरान लाउडस्पीकर का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक ध्वनि प्रदूषण होता है।

प्राधिकरण ने 11 अगस्त को पारित एक आदेश में कहा, “जब हम पाते हैं कि दिल्ली पुलिस, दिल्ली सरकार, डीपीसीसी और सीपीसीबी द्वारा कुछ कदम उठाए गए हैं, यह सुनिश्चित करने के लिए आगे कदम उठाने की आवश्यकता है कि पहले से ही पारित आदेश के संदर्भ में जनस्वास्थ्य और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए जमीनी स्तर पर ध्वनि प्रदूषण मानदंड लागू किए जाएं।”

पीठ ने दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश, जस्टिस एस. पी. गर्ग की अध्यक्षता में एक निगरानी समिति का गठन भी किया, ताकि अनुपालन की स्थिति का पता लगाया जा सके और ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण उपायों को लागू करने के लिए दिल्ली के संदर्भ में सुझाव दिया जा सके।

समिति को किसी अन्य विशेषज्ञों या संस्थानों की सहायता लेने और सार्वजनिक या शैक्षणिक संस्थानों या सामाजिक संगठनों के सदस्यों को इस कार्य में शामिल करने के लिए कहा गया है।

प्राधिकरण ने आगे निर्देश दिया, “हमारा विचार है कि सीपीसीबी द्वारा निर्धारित क्षतिपूर्ति पैमाने को पूरे भारत में लागू किया जा सकता है। सीपीसीबी सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में अनुपालन के लिए उचित वैधानिक आदेश जारी कर सकता है।”

इसने कहा कि मुख्य सचिव (एसडीएम) और पुलिस आयुक्त (डीसीपी) के प्रतिनिधियों को संयुक्त रूप से साप्ताहिक आधार पर स्थिति का जायजा लेने के लिए निर्देशित किया गया है। इसने कहा कि निगरानी के लिए कोई प्रभावी केंद्रीकृत तंत्र नहीं है।

एनजीटी की पीठ ने कहा कि अगर दिल्ली प्रदूषण के मानदंडों के अनुपालन के लिए एक आदर्श बन जाता है, तो यह सभी अन्य राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को भी इसका अनुसरण करने में मदद कर सकता है।

न्यूज स्त्रोत आईएएनएस