ATAGS: भारतीय सेना को आत्मनिर्भरता की ओर ले जाता स्वदेशी तोपखाना
भारतीय सेना को और अधिक शक्तिशाली बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए, स्वदेशी रूप से निर्मित एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम (ATAGS) पुरानी और छोटी तोपों की जगह लेने जा रहा है। रक्षा मंत्रालय ने इसे 'शानदार मिशन मोड सफलता' करार दिया है। यह तोप न केवल सेना की ताकत बढ़ाएगी, बल्कि आत्मनिर्भर भारत के सपने को भी साकार कर रही है। 48 किलोमीटर की मारक क्षमता वाली यह तोप देश की रक्षा में एक नया अध्याय लिखेगी।
ATAGS को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के पुणे स्थित आयुध अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान द्वारा डिज़ाइन किया गया है। रक्षा मंत्रालय ने अपने एक्स अकाउंट पर एक वीडियो शेयर करते हुए ATAGS की तारीफ की और बताया कि यह प्रोजेक्ट 2012 में शुरू हुआ था। ARDE के निदेशक ए. राजू ने कहा, "सिर्फ़ 12 सालों में हमने डिज़ाइन से लेकर परीक्षण और इंडक्शन तक का सफ़र पूरा कर लिया है।"
ATAGS की ख़ासियत इसकी आधुनिक तकनीक है, जो इसे बेहद ख़ास बनाती है। इसमें पूरी तरह से इलेक्ट्रिक ड्राइव सिस्टम है। यह तोप दागने और गोला-बारूद संभालने में मदद करता है। यह सिस्टम पहाड़ों और रेगिस्तान जैसे दुर्गम इलाकों में भी बिना किसी रुकावट के काम करता है। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक़, इस तोप का रखरखाव भी आसान है। इससे सेना को ऑपरेशन में कोई दिक्कत नहीं होगी। राजू ने कहा, "ARDE आत्मनिर्भर भारत के मिशन में अहम भूमिका निभा रहा है।"
इस प्रोजेक्ट की कीमत क्या है?
DRDO, भारतीय सेना और निजी-सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों ने इस प्रोजेक्ट में साथ मिलकर काम किया है। यही एकता और कड़ी मेहनत ATAGS को इतना खास बनाती है। 26 मार्च को रक्षा मंत्रालय ने भारत फोर्ज लिमिटेड और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड के साथ मिलकर 155mm/52 कैलिबर एटीएजीएस और 6x6 गन टोइंग व्हीकल्स के लिए हाई मोबिलिटी व्हीकल का अनुबंध किया गया है।
इसकी कुल लागत लगभग 6,900 करोड़ रुपये है। ये तोपें पुरानी और छोटी तोपों की जगह लेंगी और सेना की मारक क्षमता को कई गुना बढ़ा देंगी। अगले पाँच वर्षों में 307 एटीएजीएस की आपूर्ति पूरी होने की उम्मीद है। रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "एटीएजीएस भारतीय सेना के तोपखाने के आधुनिकीकरण का नेतृत्व कर रहा है। यह डीआरडीओ की प्रमुख प्रणाली है और आत्मनिर्भर भारत के लिए एक आदर्श है।"