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अमेरिका-तालिबान शांति समझौते को लेकर भारत को क्यों सता रही चिंता

 

भारतीय प्रतिनिध तालिबान-अमेरिका शांति समझौते में शामिल हो रहे हैं, लेकिन भारत पर इसका क्या असर हो सकता है। कुछ ऐसे सवाल भी खड़े होकर देश के सामने चिंता का विषय बने हुए हैं। भारत इस दिशा में लगातार अपनी चिंता जताया आया है। अफगानिस्तान में तालिबान के मजबूत होने का विपरित असर भारत पर पड़ने की आंशका रही है।

अमेरिका अफगानिस्तान में तालिबा के साथ शांति समझौता करने जा रहा है। दोनों देशों के मध्य होने वाले शांति समझौते को लेकर दुनिया की नजर टिकी हुई है। अमेरिका और तालिबान के बीच शांति समझौता कतर के दोहा में होने जा रहा है। भारत के लोग भी इस समझौते को लेकर गहराई के साथ देख रहे हैं। इस शांति समझौते के 30 देश गवाह बनने जा रहे हैं। इन देशों में भारत में शामिल है। तालिबान के साथ पहली बाल इस समझौते में भारतीय प्रतिनिधि भी शामिल रहेंगे। इस समझौते के बाद अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी की तस्वीर साफ हो जाएगी।

 

अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी का भारत पर प्रतिकूल असर देखने को मिल सकता है। इस बात को लेकर भारत चितिंत है। तालिबान कश्मीर में गड़बड़ी फैला सकता है। तालिबान के हक्कानी समूह ने अफगानिस्तान में भारतीय दूतावास पर हमले करने की बात पूरी दुनिया को अच्छे से जानकारी है। हक्कानी नेटवर्क कश्मीर में भी गड़बड़ी फैलाने को लेकर आशंका है। अमेरिका उसी हक्कानी वाले तालिबाल के साथ शांति समझौता कर रहा है। तालिबान और अमेरिका के बीच होने जा रहे शांति समझौते को लेकर भारत के लिए ये एक अच्छा संकेत नहीं है। तालिबान की चाबी पाकिस्तान के पास होने से भारत के लिए ये भी एक बड़ी चिंता बन गई है।

भारतीय प्रतिनिधि तालिबान-अमेरिका शांति समझौते में शामिल हो रहे हैं, लेकिन भारत पर दोनों देशों के बीच होने जा रही डील का क्या असर हो सकता है। भारत इस दिशा में लगातार अपनी चिंता जताता आया है। तालिबान के मजबूत होने का विपरित असर भारत पर डाल सकता है। अमेरिका-तालिबान शांति समझौते को लेकर भारत को क्यों सता रही चिंता