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बिहार में रासायनिक उर्वरकों की कोई कमी नहीं, सरकार ने वैकल्पिक खाद की आपूर्ति पर दिया जोर

 

बिहार सरकार ने किसानों को भरोसा दिलाया है कि खरीफ सीजन 2025 के लिए राज्य में रासायनिक उर्वरकों की कोई कमी नहीं है। सरकार के अनुसार, सभी प्रकार के उर्वरक — चाहे वह यूरिया हो, डीएपी (डाय-अमोनियम फॉस्फेट) या अन्य जटिल उर्वरक — सहकारी समितियों और निजी विक्रय केंद्रों में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं।

वैश्विक संकट का प्रभाव और सरकार की तैयारी

हालांकि वैश्विक परिस्थितियों के चलते डीएपी खाद के आयात में कमी देखी गई है, लेकिन इसके बावजूद राज्य सरकार ने समय रहते वैकल्पिक रासायनिक उर्वरकों की आपूर्ति और वितरण सुनिश्चित कर लिया है।

राज्य कृषि विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि:

"डीएपी की आपूर्ति में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कमी आने की संभावना थी, इसलिए हमने पहले ही इसके स्थान पर विकल्प जैसे एनपीके, कंपोजिट खाद, और जैविक उर्वरकों की व्यवस्था कर ली थी। किसानों को उर्वरक वितरण में किसी प्रकार की परेशानी न हो, इसके लिए प्रत्येक जिले में निगरानी टीम भी बनाई गई है।"

किसानों को समय पर खाद वितरण की गारंटी

खरीफ सीजन में धान, मक्का, अरहर और सोयाबीन जैसी फसलों की बुआई के लिए उर्वरक की समय पर आपूर्ति बेहद जरूरी होती है। सरकार ने सभी जिलों में सहकारी भंडारों, पैक्स और खुदरा विक्रेताओं के माध्यम से खाद का वितरण सुनिश्चित करने की रणनीति अपनाई है।

इसके अलावा, "ई-उर्वरक निगरानी पोर्टल" के जरिए स्टॉक और डिस्ट्रीब्यूशन की रियल टाइम मॉनिटरिंग की जा रही है।

वैकल्पिक उर्वरकों का उपयोग बढ़ाने की अपील

कृषि विभाग ने किसानों से यह भी अपील की है कि वे केवल डीएपी पर निर्भर न रहते हुए अन्य पोषक तत्वों से भरपूर वैकल्पिक उर्वरकों का उपयोग करें, जो मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने में भी मददगार होंगे।

विभाग के अनुसार, जैविक खाद और सूक्ष्म पोषक तत्व युक्त उर्वरक उपयोग करने से लंबे समय में खेत की उत्पादकता और फसल गुणवत्ता दोनों बढ़ती है।