प्रदेश में पाई जाती हैं सांपों की 43 से अधिक प्रजातियां, जानिए कौन से हैं विषैले और कौन से निरपराध
प्रदेश की जैव विविधता में सांपों की महत्वपूर्ण भूमिका है। यहां 43 से अधिक प्रजातियों के सांप पाए जाते हैं, जिनमें विषैले और गैर-विषैले दोनों प्रकार के सांप शामिल हैं। जंगलों, खेतों, जलाशयों और यहां तक कि इंसानी बस्तियों के आसपास भी ये सांप देखे जा सकते हैं। इनकी मौजूदगी पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाती है।
प्रदेश में पाई जाने वाली प्रमुख विषैली प्रजातियों में नाग (Indian Cobra), करैत (Common Krait) और रसेल वाइपर (Russell’s Viper) शामिल हैं। ये तीनों सांप भारत में सबसे अधिक पाए जाने वाले विषैले सांपों में गिने जाते हैं और मानव मृत्यु के मामलों में इनकी भूमिका प्रमुख मानी जाती है। नाग अपनी फन फैलाने वाली मुद्रा और तेज फुंकार के लिए प्रसिद्ध है, वहीं करैत रात्रिचर स्वभाव का होता है और अक्सर रात में ही काटता है। रसेल वाइपर अत्यंत आक्रामक होता है और इसके काटने पर गहरा विषाक्त प्रभाव पड़ता है।
इनके विपरीत, प्रदेश में कई गैर-विषैले सांप भी पाए जाते हैं, जो मनुष्यों के लिए किसी प्रकार का खतरा नहीं होते। इनमें अजगर (Python) और चूहा सांप (Rat Snake) प्रमुख हैं। अजगर विशाल आकार का होता है और अपने शिकार को कुंडली मारकर दबोच लेता है, जबकि चूहा सांप खेतों में बड़ी संख्या में चूहों का शिकार कर किसानों के लिए फायदेमंद सिद्ध होता है। चूंकि ये सांप विषहीन होते हैं, इसलिए इनसे डरने की आवश्यकता नहीं है।
विशेषज्ञों के अनुसार, सांपों की उपस्थिति एक स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र का संकेत है। वे चूहों और अन्य छोटे जीवों की जनसंख्या को नियंत्रित करते हैं, जिससे फसलें सुरक्षित रहती हैं और बीमारियों का खतरा भी कम होता है। दुर्भाग्यवश, जानकारी के अभाव में लोग अक्सर गैर-विषैले सांपों को भी मार डालते हैं, जिससे जैव विविधता को नुकसान पहुंचता है।
वन विभाग और सर्प विशेषज्ञ समय-समय पर लोगों को जागरूक करने के लिए अभियान चलाते हैं। उनका उद्देश्य यही होता है कि लोग सांपों को पहचानें, उनसे अनावश्यक डर न रखें और ज़रूरत पड़ने पर सही तरीके से निपटें।
यदि किसी को सांप काट ले तो तुरंत नज़दीकी अस्पताल में प्राथमिक उपचार लेना चाहिए और सांप की पहचान करने की कोशिश करनी चाहिए, ताकि समय रहते सही इलाज हो सके। विशेषज्ञ यह भी कहते हैं कि झाड़-फूंक या देसी इलाज से बचना चाहिए क्योंकि इससे स्थिति और बिगड़ सकती है।
अंततः, यह ज़रूरी है कि हम सांपों के महत्व को समझें और उनके संरक्षण की दिशा में कदम बढ़ाएं। जागरूकता और सही जानकारी ही इन जीवों के साथ सह-अस्तित्व को संभव बना सकती है।
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