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बालको थाना क्षेत्र में घरेलू हिंसा का खौफनाक वीडियो वायरल, बच्चों की चीखों ने झकझोर दी संवेदनाएं

 

बालको थाना क्षेत्र अंतर्गत शांति नगर इलाके से एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है, जिसने पूरे क्षेत्र को स्तब्ध कर दिया है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो में एक शख्स अपनी पत्नी को बेरहमी से पीटता हुआ नजर आ रहा है। इस दौरान उनके मासूम बच्चे रोते-बिलखते हुए अपने पिता से “मम्मी को मत मारो” की गुहार लगाते दिखाई देते हैं। बच्चों की चीख-पुकार और महिला की दर्दनाक स्थिति ने इस वीडियो को देखने वाले हर व्यक्ति को झकझोर कर रख दिया है।

घटना का वीडियो सामने आने के बाद इलाके में सनसनी फैल गई है और लोगों में भारी आक्रोश व्याप्त है। वायरल वीडियो के आधार पर पुलिस ने तेजी से संज्ञान लेते हुए पीड़िता की शिकायत पर आरोपी पति के अलावा सास और ससुर के खिलाफ भी मामला दर्ज कर लिया है। मामला भारतीय दंड संहिता की धारा 498A (घरेलू हिंसा), 323 (मारपीट), 506 (धमकी) तथा अन्य धाराओं के तहत दर्ज किया गया है।

पुलिस के मुताबिक, पीड़िता ने बताया कि उसका पति लंबे समय से उसके साथ मारपीट करता आ रहा था। इसके अलावा सास और ससुर भी उसे मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित करते थे। हाल ही में मारपीट की यह घटना जब बच्चों के सामने हुई और उसका वीडियो बनकर सामने आया, तो पीड़िता ने साहस दिखाते हुए थाने में प्राथमिकी दर्ज करवाई।

पुलिस अधीक्षक ने बताया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच शुरू कर दी गई है और आरोपी की गिरफ्तारी के लिए टीमें गठित कर दी गई हैं। पीड़िता और उसके बच्चों को फिलहाल सुरक्षा दी गई है और महिला के बयान के आधार पर आगे की कानूनी कार्रवाई की जा रही है।

इस पूरे मामले ने एक बार फिर से घरेलू हिंसा की भयावहता को सामने ला दिया है, जहां पीड़िता को लंबे समय तक अत्याचार सहना पड़ा और तब जाकर उसने पुलिस की मदद ली। खासकर बच्चों की भावनात्मक स्थिति ने सभी का दिल दहला दिया है। बाल संरक्षण आयोग ने भी मामले में संज्ञान लेने की बात कही है।

स्थानीय समाजसेवियों और महिला संगठनों ने घटना की कड़ी निंदा करते हुए दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है। वहीं, प्रशासन से पीड़िता और उसके बच्चों के पुनर्वास और काउंसलिंग की व्यवस्था सुनिश्चित करने की अपील की है।

यह घटना एक बार फिर यह सवाल खड़ा करती है कि घरेलू हिंसा के खिलाफ समाज को और अधिक संवेदनशील और सतर्क होने की जरूरत है। साथ ही, पीड़ितों को कानूनी और सामाजिक मदद के लिए आगे आने के लिए प्रेरित करना भी बेहद जरूरी है।