पूर्व IAS अनिल टुटेजा और कारोबारी अनवर ढेबर 21 जुलाई तक ईओडब्ल्यू रिमांड पर, अब तक 3500 पन्नों की चार्जशीट
छत्तीसगढ़ में बहुचर्चित 140 करोड़ रुपये के कस्टम मिलिंग घोटाले की जांच में बड़ा मोड़ आया है। आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) ने इस मामले में पूर्व वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा और व्यवसायी अनवर ढेबर को गिरफ्तार कर 21 जुलाई तक रिमांड पर लिया है। यह गिरफ्तारी राज्य में हो रहे सबसे बड़े आर्थिक घोटालों में से एक मानी जा रही है।
अब तक 3500 पन्नों की चार्जशीट दाखिल
ईओडब्ल्यू की ओर से इस घोटाले में अब तक 3500 से अधिक पृष्ठों की चार्जशीट पेश की जा चुकी है, जिसमें कई अहम सबूत और गवाहों के बयान शामिल हैं। अधिकारियों के मुताबिक, यह चार्जशीट एक विस्तृत जांच और गहन पूछताछ का परिणाम है, जिससे पता चलता है कि कैसे चावल की कस्टम मिलिंग प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितताएं की गईं।
क्या है कस्टम मिलिंग घोटाला?
यह घोटाला राज्य के खाद्य विभाग से जुड़ा हुआ है, जिसमें चावल मिल मालिकों को सरकारी समर्थन मूल्य पर धान देने के बदले चावल की मिलिंग कर उसे सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) में आपूर्ति करना होता है। आरोप है कि इस प्रक्रिया में फर्जी मिलिंग दिखाकर करोड़ों रुपये का गबन किया गया। इस घोटाले में कई ठेकेदार, कारोबारी और अफसरों की मिलीभगत सामने आई है।
आरोपियों की भूमिका
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अनिल टुटेजा, पूर्व आईएएस अधिकारी, पर घोटाले की पूरी योजना को अंजाम देने और उसमें प्रशासनिक संरक्षण देने का आरोप है।
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अनवर ढेबर, एक बड़े कारोबारी माने जाते हैं, जिन पर इस फर्जीवाड़े को आर्थिक रूप से संचालित करने का संदेह है। इससे पहले उन्हें शराब घोटाले में भी आरोपी बनाया गया था।
आगे की कार्रवाई
ईओडब्ल्यू ने अदालत से दोनों आरोपियों की रिमांड मांगी थी ताकि उनसे पूछताछ कर धन के प्रवाह, मिलिंग रजिस्टरों की हेराफेरी, और अन्य सहयोगी अफसरों की भूमिका के बारे में जानकारी जुटाई जा सके। कोर्ट ने इसे मंजूरी देते हुए 21 जुलाई तक की पुलिस रिमांड दी है।
राजनीतिक घमासान भी तेज
इस घोटाले को लेकर राजनीतिक हलकों में भी हलचल तेज हो गई है। विपक्ष ने इस पूरे मामले को पूर्ववर्ती सरकार की "भ्रष्ट व्यवस्था" का उदाहरण बताते हुए कार्रवाई की मांग की थी। वहीं, मौजूदा सरकार ने इसे “कानून का राज” बताते हुए कहा है कि दोषियों को किसी भी कीमत पर नहीं बख्शा जाएगा।