राजधानी में नालों पर अतिक्रमण का संकट गहराया, 450 किमी हिस्से पर कब्जा
राजधानी के आउटर और शहरी क्षेत्रों में नालों पर अतिक्रमण की समस्या लगातार गंभीर होती जा रही है। नगर निगम की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, शहर में छोटे-बड़े मिलाकर कुल 210 से अधिक नाले हैं, जिनकी कुल लंबाई 1,092 किलोमीटर है। इनमें से करीब 450 किलोमीटर हिस्से पर अतिक्रमण हो चुका है, जिससे जल निकासी की व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हो रही है।
नगर निगम अधिकारियों का कहना है कि अतिक्रमण की वजह से हर साल बारिश के मौसम में कई इलाकों में जलभराव की स्थिति पैदा हो जाती है। खासकर शहरी बस्तियों और आउटर कॉलोनियों में नालों पर अवैध निर्माण और मलबा डालने की घटनाएं आम हो गई हैं।
नगर निगम की चुनौती:
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अतिक्रमण हटाने के अभियान को लेकर राजनीतिक और स्थानीय दबाव का सामना करना पड़ रहा है।
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कई नालों की जमीन पर लोगों ने स्थायी निर्माण कर लिए हैं, जिससे इन्हें हटाना मुश्किल हो गया है।
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निगम के पास पर्याप्त संसाधन और अमला नहीं होने से अभियान की गति धीमी है।
समाधान की पहल:
नगर निगम ने जलभराव से निपटने के लिए विशेष अभियान चलाने का निर्णय लिया है। इसके तहत पहले चरण में प्रमुख नालों की पहचान कर अतिक्रमण चिह्नित किया जाएगा और फिर नोटिस जारी कर हटाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
निगम आयुक्त के अनुसार, “जल निकासी की सुविधा बहाल करना हमारी प्राथमिकता है। अतिक्रमण हटाने के लिए जनजागरूकता और सख्ती दोनों अपनाई जाएंगी।”
यदि यह स्थिति यूं ही बनी रही, तो आने वाले वर्षों में मानसून के दौरान शहर की हालत और भी बदतर हो सकती है।