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शिक्षा विभाग ने दो शिक्षकों को किया निलंबित, गंभीर आरोपों में कार्रवाई

 

छत्तीसगढ़ में शिक्षा व्यवस्था को शर्मसार करने वाले दो गंभीर मामलों में शिक्षा विभाग ने सख्त कदम उठाते हुए दो शिक्षकों को निलंबित कर दिया है। दोनों ही मामलों में शिक्षकों पर गंभीर और अनैतिक आरोप सिद्ध हुए हैं, जिससे न केवल शिक्षा जगत की छवि धूमिल हुई है, बल्कि विद्यार्थियों और सहकर्मियों की सुरक्षा पर भी सवाल खड़े हो गए हैं।

पहला मामला प्रदेश के एक शासकीय स्कूल में पदस्थ व्याख्याता से जुड़ा है, जिस पर कक्षा 11वीं की एक छात्रा के साथ अनैतिक कृत्य करने का आरोप लगा है। छात्रा ने साहस दिखाते हुए इसकी शिकायत की, जिसके बाद मामले की जांच शुरू की गई। प्राथमिक साक्ष्य और बयान के आधार पर पुलिस ने आरोपी शिक्षक को गिरफ्तार कर लिया है और उसे न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है। शिक्षा विभाग ने त्वरित कार्रवाई करते हुए उसे तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है।

वहीं, दूसरा मामला महिला शिक्षक के साथ लगातार छेड़छाड़ और मानसिक उत्पीड़न से जुड़ा है। आरोपी शिक्षक पर उसकी महिला सहकर्मी ने कार्यस्थल पर अभद्र व्यवहार और मानसिक प्रताड़ना का आरोप लगाया था। शिक्षा विभाग की जांच टीम ने मामले की गंभीरता को देखते हुए स्वतंत्र जांच करवाई। रिपोर्ट में आरोपों की पुष्टि होने पर विभाग ने उसे भी निलंबन की कार्रवाई के दायरे में लाते हुए तुरंत प्रभाव से निलंबित कर दिया है।

शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि शैक्षणिक संस्थान पवित्रता और नैतिकता का स्थान होते हैं, और ऐसे किसी भी अनैतिक व्यवहार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। विभाग की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि "छात्रों और सहकर्मियों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है। ऐसे मामलों में सख्त से सख्त कदम उठाए जाएंगे ताकि भविष्य में कोई शिक्षक ऐसी हरकत करने से पहले सौ बार सोचे।"

इन दोनों घटनाओं के सामने आने के बाद स्थानीय स्तर पर नाराजगी और आक्रोश का माहौल है। अभिभावकों और समाजिक संगठनों ने मांग की है कि ऐसे मामलों में केवल निलंबन नहीं, बल्कि सेवा से बर्खास्तगी और कानूनी सजा भी सुनिश्चित की जानी चाहिए।

छत्तीसगढ़ शिक्षा विभाग ने इन मामलों के माध्यम से यह संदेश देने की कोशिश की है कि यदि कोई शिक्षक अपने आचरण से मर्यादा लांघता है, तो उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। विभाग ने आगे भी ऐसे मामलों के लिए निगरानी व्यवस्था को और प्रभावी बनाने की बात कही है।

यह घटना शिक्षा व्यवस्था को एक बार फिर से आत्ममंथन करने को मजबूर करती है कि विद्यालयों में सुरक्षित और मर्यादित वातावरण बनाए रखने के लिए निगरानी और संवेदनशीलता कितनी आवश्यक है।

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