राजधानी में धूल बना नागरिकों का दुश्मन, सड़कों पर उड़ती मिट्टी से बढ़ी लोगों की परेशानी, स्वास्थ्य पर भी खतरा
राजधानी की सड़कों पर इन दिनों उड़ती धूल ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है। चाहे शहर के मुख्य मार्ग हों या गलियों की अंदरूनी सड़कें, हर ओर धूल की मोटी परतों ने आम नागरिकों की दैनिक आवाजाही को मुश्किल बना दिया है।
शहर में लगातार उड़ती धूल न केवल वाहन चालकों के लिए आंखों में जलन और सांस लेने में तकलीफ का कारण बन रही है, बल्कि पैदल चलने वालों के लिए भी यह एक गंभीर समस्या बन चुकी है।
रफ्तार के साथ उड़ती धूल, सेहत पर असर
जब भी कोई वाहन सड़क से गुजरता है, तो सड़क की सतह पर जमी धूल हवा में उड़ने लगती है। यह धूल प्रतिदिन हजारों लोगों की आंखों, नाक और फेफड़ों में जाकर एलर्जी, अस्थमा, खांसी और आंखों की बीमारियों को जन्म दे रही है।
विशेषज्ञों का कहना है कि लंबे समय तक धूलभरी हवा में रहना बच्चों, बुजुर्गों और पहले से बीमार लोगों के लिए बेहद हानिकारक हो सकता है।
कैनोपी और दुकानों पर जम रही धूल की परत
सड़क किनारे लगे कैनोपी, दुकानें, वाहनों की खिड़कियां और यहां तक कि सार्वजनिक बैठने की जगहों पर भी दिनभर में धूल की मोटी परत जम जाती है। दुकानदारों का कहना है कि दिन में दो-तीन बार झाड़ू-पोंछा करना पड़ता है, फिर भी सामान और फर्नीचर धूल से अटे पड़े रहते हैं।
"नहा धोकर निकलो, फिर से नहाना पड़े"
शहरवासी इस धूल से इतने परेशान हैं कि लोगों का कहना है, “सुबह नहा-धोकर घर से निकलो और शाम को घर लौटो, तो ऐसा लगता है जैसे दोबारा नहाना जरूरी हो गया हो।”
कामकाजी लोगों और विद्यार्थियों को इससे खासा दिक्कत हो रही है। स्कूल-कॉलेज और दफ्तर जाने वाले लोग मास्क पहनकर भी पूरी तरह सुरक्षित नहीं महसूस कर रहे हैं।
नगर निगम की अनदेखी, फॉगिंग मशीनें बंद
शहर की इस गंभीर समस्या पर नगर निगम की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है। सड़कों पर वॉटर स्प्रिंकलिंग या फॉगिंग मशीनों का संचालन न के बराबर है। कई स्थानों पर नालियों की सफाई भी महीनों से नहीं हुई, जिससे धूल और अधिक फैल रही है।
नागरिकों की मांग: हो नियमित सड़क धुलाई
स्थानीय नागरिकों और सामाजिक संगठनों ने प्रशासन से मांग की है कि प्रमुख सड़कों पर नियमित जल छिड़काव किया जाए और जहां सड़कें टूटी हैं, वहां जल्द से जल्द पक्की सड़क बनाई जाए।
प्रशासन की चुप्पी पर उठे सवाल
इस धूल भरे संकट के बीच प्रशासन की चुप्पी पर सवाल उठ रहे हैं। गर्मी और सूखे मौसम के बीच उड़ती धूल लोगों के स्वास्थ्य के साथ-साथ शहर की स्वच्छता रैंकिंग को भी प्रभावित कर सकती है।