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अनुकंपा नियुक्ति के बाद आश्रितों की उपेक्षा पर हाईकोर्ट सख्त, कहा - यह विधिक और नैतिक जिम्मेदारी

 

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने अनुकंपा नियुक्ति से जुड़े एक अहम मामले में महत्वपूर्ण और दूरगामी निर्णय देते हुए कहा है कि अनुकंपा नियुक्ति प्राप्त व्यक्ति का यह नैतिक और विधिक कर्तव्य है कि वह मृतक के आश्रितों की देखभाल करे, जब तक कि वे आत्मनिर्भर न हो जाएं। यह फैसला राज्य के जशपुर जिले से जुड़े एक पारिवारिक विवाद के संदर्भ में आया है, जिसने प्रशासनिक और सामाजिक दोनों ही स्तरों पर बड़ी बहस छेड़ दी है।

क्या है मामला?

जशपुर निवासी सुरेंद्र खाखा, छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत कंपनी में कर्मचारी थे। वर्ष 2002 में उनकी पत्नी का निधन हो गया। पहली पत्नी से उन्हें दो पुत्र - सत्यम और जितेंद्र थे। पत्नी की मौत के बाद सुरेंद्र ने दूसरी शादी कर ली और कुछ समय बाद उनकी भी मृत्यु हो गई। पिता की मौत के बाद सत्यम ने आरोप लगाया कि दूसरी पत्नी से जन्मे भाई को अनुकंपा नियुक्ति दी गई, लेकिन नियुक्ति पाने के बाद उसने पहली पत्नी से जन्मे भाईयों की पूरी तरह उपेक्षा की और उन्हें कोई भरण-पोषण नहीं दिया।

कोर्ट ने क्या कहा?

इस मामले में सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने साफ कहा कि –

“अनुकंपा नियुक्ति का उद्देश्य केवल मृतक कर्मचारी के परिवार को रोजगार देना नहीं, बल्कि उस परिवार के भरण-पोषण और देखभाल की जिम्मेदारी सुनिश्चित करना होता है। यदि नियुक्त व्यक्ति मृतक के अन्य आश्रितों की देखभाल नहीं करता, तो यह नैतिक और कानूनी दायित्वों का उल्लंघन है।”

कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि मामले में संबंधित विभाग यह सुनिश्चित करे कि अनुकंपा नियुक्ति के बाद आश्रितों की उपेक्षा न हो, और यदि ऐसा पाया जाता है तो नियुक्ति की समीक्षा की जाए।

कानूनी दृष्टिकोण

यह फैसला उन तमाम मामलों के लिए मिसाल बन सकता है, जहां अनुकंपा नियुक्ति के बाद परिवार में विवाद उत्पन्न हो जाता है। आमतौर पर देखा गया है कि अनुकंपा नियुक्त व्यक्ति पूरे परिवार के भरण-पोषण की जिम्मेदारी नहीं निभाता, जिससे आश्रित परेशान रहते हैं। कोर्ट का यह स्पष्ट रुख बताता है कि अनुकंपा नियुक्ति एक कर्तव्यबोध से जुड़ा हुआ विशेषाधिकार है, न कि केवल एक रोजगार का साधन।

सामाजिक प्रभाव

इस फैसले से ऐसे परिवारों को राहत मिलने की उम्मीद है, जो अनुकंपा नियुक्ति से वंचित होने या उपेक्षित होने की स्थिति में हैं। यह निर्णय अब सरकार और विभागों को भी ऐसे मामलों में सावधानीपूर्वक जांच करने के लिए बाध्य करेगा।