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राजधानी सहित कई शहरों में बिना लाइसेंस और डिग्री के चल रहे खतरनाक लेजर ट्रीटमेंट, स्टिंग ऑपरेशन में बड़ा खुलासा

 

राजधानी समेत प्रदेश के विभिन्न शहरों में बगैर किसी मेडिकल डिग्री और सरकारी लाइसेंस के नाई और ब्यूटी पार्लर संचालक खतरनाक लेजर तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं। ये संचालक चेहरे की सुंदरता बढ़ाने और अनचाहे बाल हटाने जैसे उपचारों के नाम पर ग्राहकों को लुभा रहे हैं। लेकिन एक स्टिंग ऑपरेशन के दौरान जो सच्चाई सामने आई, उसने स्वास्थ्य व्यवस्था और कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

स्टिंग ऑपरेशन में यह खुलासा हुआ है कि शहर में अनट्रेंड और गैर-पेशेवर स्टाफ द्वारा झुर्रियां, मुंहासे, टैनिंग हटाने और लेजर हेयर रिमूवल जैसे जटिल और संवेदनशील ट्रीटमेंट किए जा रहे हैं। इन ट्रीटमेंट्स के लिए जिन उपकरणों और तकनीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है, वे कई बार स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकते हैं। न केवल त्वचा को स्थायी नुकसान पहुंच सकता है, बल्कि संक्रमण, जलन और गंभीर एलर्जी का खतरा भी बना रहता है।

लेजर तकनीक का उपयोग मेडिकल साइंस की गाइडलाइंस के अनुसार केवल प्रशिक्षित और प्रमाणित डर्मेटोलॉजिस्ट या त्वचा रोग विशेषज्ञ ही कर सकते हैं। लेकिन राजधानी सहित कई शहरों में यह तकनीक अब ब्यूटी पार्लर और सैलून की शोभा बढ़ा रही है। यहां बिना किसी निगरानी या अनुमति के यह संवेदनशील उपचार आम लोगों को कम दामों में ऑफर किया जा रहा है।

विशेषज्ञों का कहना है कि लेजर ट्रीटमेंट एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है, जो व्यक्ति की त्वचा के प्रकार, मेडिकल हिस्ट्री और एलर्जी के आधार पर की जानी चाहिए। गलत तरीके से किया गया लेजर ट्रीटमेंट त्वचा की जलन, काले धब्बे, जलने के निशान, या स्किन कैंसर तक का कारण बन सकता है।

इस स्टिंग ऑपरेशन के सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग की ओर से भी मामले की जांच की तैयारी की जा रही है। सूत्रों के अनुसार, स्वास्थ्य विभाग ऐसे सभी ब्यूटी पार्लर और सैलून की सूची तैयार कर रहा है जो बिना लाइसेंस और मेडिकल डिग्री के लेजर ट्रीटमेंट का दावा कर रहे हैं। जल्द ही इनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।

वहीं, उपभोक्ता संगठनों ने इस मामले को लेकर गहरी चिंता जताई है। उनका कहना है कि आम जनता को जागरूक करने की जरूरत है कि वे किसी भी सस्ते ऑफर के चक्कर में बिना जांचे-परखे इन सैलून या पार्लर की सेवाएं न लें। साथ ही सरकार को भी सख्त नियम लागू कर इस तरह की अवैध चिकित्सा गतिविधियों पर रोक लगानी चाहिए।

यह मामला न सिर्फ स्वास्थ्य सुरक्षा से जुड़ा है, बल्कि यह मेडिकल एथिक्स और कानून व्यवस्था की गंभीर अनदेखी को भी उजागर करता है। अब देखना यह है कि प्रशासन इस पर कितनी सख्त कार्रवाई करता है और लोगों की सुरक्षा के लिए क्या ठोस कदम उठाए जाते हैं।