बस्तर दशहरा पर्व की शुरुआत: मां दंतेश्वरी मंदिर में पाट जात्रा पूजा विधान के साथ हुई उद्घाटन
हरियाली अमावस्या के मौके पर बस्तर की आराध्य देवी मां दंतेश्वरी मंदिर के सामने गुरुवार को एक भव्य और ऐतिहासिक आयोजन के साथ बस्तर दशहरा पर्व की शुरुआत हुई। इस पर्व के पहले पूजा विधान में पाट जात्रा पूजा का आयोजन किया गया, जो बस्तर दशहरा की परंपरा का अभिन्न हिस्सा है। बस्तर दशहरा न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे देश में अपनी अनोखी और ऐतिहासिक सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है।
इस धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन में बस्तर सांसद महेश कश्यप, विधायक जगदलपुर किरण देव, महापौर संजय पाण्डे समेत बस्तर दशहरा समिति के कई पदाधिकारी और पारंपरिक सदस्य भी उपस्थित थे। इनमें मांझी-चालकी, मेंबर-मेंबरीन, पुजारी-गायता, पटेल, नाईक-पाईक, और सेवादार जैसे महत्वपूर्ण सदस्य शामिल थे, जो इस आयोजन के अभिन्न अंग माने जाते हैं। इसके अलावा, जिला कलेक्टर हरिस एस और अपर कलेक्टर सीपी बघेल सहित जिला प्रशासन के अधिकारी भी इस पावन अवसर पर उपस्थित थे।
बस्तर दशहरा की परंपरा
बस्तर दशहरा एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर है, जो पूरी दुनिया में अपनी विशिष्टता और भव्यता के लिए जाना जाता है। इस पर्व के दौरान बस्तर क्षेत्र की पारंपरिक पूजा विधि, नृत्य, संगीत और जात्रा की झांकियां देखने लायक होती हैं। मां दंतेश्वरी की पूजा के साथ बस्तर दशहरा का पर्व हर साल बस्तर क्षेत्र में अत्यधिक धूमधाम से मनाया जाता है, और यह पर्व एक महीना तक चलता है।
सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व
बस्तर दशहरा सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि यह बस्तर क्षेत्र की सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक भी है। इस पर्व के दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रम, पारंपरिक नृत्य, और लोककला का आयोजन होता है, जो बस्तर की समृद्ध लोक परंपराओं को जीवित रखते हैं। साथ ही, यह पर्व आध्यात्मिक जागरण और क्षेत्रीय एकता का प्रतीक बनकर समाज को एकजुट करता है।
बस्तर दशहरा का उद्घाटन हमेशा एक उत्सव और धूमधाम के साथ होता है, और यह पर्व पूरे क्षेत्र के लिए समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। इस पर्व के साथ ही बस्तर के लोग मां दंतेश्वरी से सुख-समृद्धि और आशीर्वाद की कामना करते हैं।
आयोजनों का कार्यक्रम
बस्तर दशहरा के इस प्रथम पूजा विधान के बाद, आगामी दिनों में कई सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जिसमें झांकियां, नृत्य प्रदर्शन और पारंपरिक पूजा का आयोजन प्रमुख आकर्षण होंगे। इन कार्यक्रमों में बस्तर की पारंपरिक संस्कृति का व्यापक रूप से प्रदर्शन किया जाएगा, जो पर्यटकों और श्रद्धालुओं के लिए खास अनुभव प्रदान करेगा।