इंटरनेट मीडिया का बढ़ता प्रभाव, पढ़ाई में लापरवाही पर फटकार, स्वामी आत्मानंद स्कूल के तीन छात्र चर्चा में
इंटरनेट मीडिया का असर आज बच्चों के आचरण और दिनचर्या पर गहराई से पड़ता दिखाई दे रहा है। सोशल मीडिया और मोबाइल गेम्स जैसे प्लेटफॉर्म जहां एक ओर बच्चों के लिए मनोरंजन और ज्ञान का साधन बनते जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर यह उनके शैक्षणिक जीवन और अनुशासन पर प्रतिकूल प्रभाव भी डाल रहे हैं। ऐसी ही एक चौंकाने वाली घटना शनिवार को छत्तीसगढ़ के स्वामी आत्मानंद बीपी पुजारी स्कूल में सामने आई, जिसने अभिभावकों और शिक्षकों दोनों को चिंतित कर दिया।
पढ़ाई में लापरवाही, शिक्षक और अभिभावकों से डांट
इस सरकारी स्कूल में कक्षा 9वीं और 10वीं के तीन छात्र इंटरनेट और सोशल मीडिया के अत्यधिक उपयोग की वजह से पढ़ाई में लगातार लापरवाही बरत रहे थे। स्कूल प्रशासन ने जब उनकी गतिविधियों पर नजर डाली, तो पाया कि वे पढ़ाई की बजाय मोबाइल पर समय बर्बाद कर रहे हैं, और विद्यालय के अनुशासन का भी पालन नहीं कर रहे।
जब शिक्षकों ने इस विषय को गंभीरता से लिया और छात्रों को समझाने की कोशिश की, तब भी उनके व्यवहार में बदलाव नहीं आया। इसके बाद अभिभावकों को स्कूल बुलाया गया, जहां छात्रों को उनके माता-पिता के सामने और अधिक फटकार लगी। इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया कि इंटरनेट मीडिया का अनुचित उपयोग छात्रों की शिक्षा और संस्कार दोनों को प्रभावित कर रहा है।
बच्चों की मानसिकता पर गहराता प्रभाव
शिक्षकों और मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि इंटरनेट पर उपलब्ध सामग्री, रील्स, शॉर्ट वीडियोज और गेमिंग ऐप्स बच्चों को वास्तविकता से दूर कर रहे हैं। नियमित अध्ययन, अनुशासन और सामाजिक व्यवहार जैसे मूल्यों में कमी आ रही है। इस मामले में भी तीनों छात्र विद्यालय के नियमों की अनदेखी कर लगातार डिजिटल दुनिया में लीन थे, जिससे उनके प्रदर्शन और व्यवहार में गिरावट आई।
स्कूल प्रशासन का रुख
स्वामी आत्मानंद स्कूल प्रबंधन ने मामले को गंभीरता से लेते हुए सभी कक्षाओं के छात्रों के लिए एक विशेष "डिजिटल जागरूकता सत्र" आयोजित करने का निर्णय लिया है। इसमें छात्रों को डिजिटल प्लेटफॉर्म के सुरक्षित और सीमित उपयोग के बारे में बताया जाएगा। साथ ही अभिभावकों से भी अपील की जा रही है कि वे बच्चों के मोबाइल उपयोग पर नियंत्रण रखें और उनके व्यवहार पर सतत निगरानी रखें।
सामाजिक जिम्मेदारी की जरूरत
यह घटना एक बार फिर इस बात की चेतावनी देती है कि यदि इंटरनेट मीडिया के प्रभाव को समय रहते नियंत्रित नहीं किया गया, तो इसका असर बच्चों के शैक्षणिक, मानसिक और सामाजिक विकास पर गंभीर रूप से पड़ सकता है। यह न केवल स्कूलों और शिक्षकों की जिम्मेदारी है, बल्कि अभिभावकों और समाज की भी भूमिका अहम हो जाती है कि वे बच्चों को डिजिटल संतुलन की ओर प्रेरित करें।