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कीर्ति आजाद के कांग्रेस में शामिल होने से क्या बदल गया है दरभंगा लोकसभा सीट का सियासी समीकरण, जानें जमीनी हकीकत

 

आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनज़र बिहार की राजनीति में दिलचस्प मोड़ आ रहे हैं। 17-17 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी भाजपा और जदयू ने अभी तक सीटों के नामों की घोषणा नहीं की है, और महागठबंधन की स्थिति भी स्पष्ट नहीं है। मिथिला का हृदय कही जाने वाली दरभंगा लोकसभा सीट सबसे ज़्यादा चर्चा में है और इसे लेकर तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। इस सीट के लिए एनडीए और महागठबंधन में कई दावेदार आमने-सामने हैं। दरभंगा से दो बार सांसद रहे कीर्ति आज़ाद के कांग्रेस में शामिल होने से यहाँ नए समीकरण उभरे हैं। ऐसे में देखना होगा कि एनडीए और महागठबंधन चुनावी शतरंज कैसे खेलते हैं।

महागठबंधन की पेच

मौजूदा सांसद कीर्ति आज़ाद दरभंगा से चुनाव लड़ना चाहते हैं, हालाँकि बिहार कांग्रेस अध्यक्ष ने साफ़ कर दिया है कि सीटों और उम्मीदवारों की घोषणा बाद में की जाएगी। लेकिन जानकारों की मानें तो दरभंगा से टिकट मिलने के आश्वासन पर ही कीर्ति आज़ाद कांग्रेस में शामिल हुए हैं। इसी वजह से माना जा रहा है कि पार्टी दरभंगा से आज़ाद को मैदान में उतार सकती है। हालाँकि, बिहार में कांग्रेस के महागठबंधन में शामिल होने और सीटों के बंटवारे को लेकर अभी तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। जिस तरह उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा गठबंधन सीटों के मामले में कांग्रेस को कम आंक रहा है, अगर बिहार में भी यही स्थिति रही, तो कांग्रेस महागठबंधन में शामिल होने पर पुनर्विचार कर सकती है। महागठबंधन के दूसरे घटक विकासशील इंसाफ पार्टी के अध्यक्ष मुकेश सहनी भी दरभंगा से चुनाव लड़ने पर अड़े हैं। वहीं, राजद नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मोहम्मद अली अशरफ फातमी भी दरभंगा के पूर्व क्षत्रप रहे हैं, कहा जा रहा है कि उन्हें मधुबनी सीट से चुनाव लड़ाने की तैयारी चल रही है।

एनडीए की स्थिति
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में भाजपा, जदयू और लोजपा की तिकड़ी मजबूत स्थिति में है। एक टीवी चैनल पर हुए सर्वे में भी इस गठबंधन को आगे दिखाया गया है। राज्य में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की साफ-सुथरी छवि और केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को मिल रहा समर्थन इस गठबंधन को दोहरा लाभ दे रहा है। एनडीए ने सीटों की संख्या की आधिकारिक घोषणा कर दी है, लेकिन कौन सी सीटें होंगी, इसे लेकर अभी भी अनिश्चितता बरकरार है। इसलिए दरभंगा में भाजपा और जदयू दोनों के दावेदार अपनी ताकत दिखाने की कोशिश कर रहे हैं। जदयू की ओर से संजय कुमार झा समय-समय पर अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं और हर छोटे-बड़े घटनाक्रम का श्रेय लेने की कोशिश कर रहे हैं। संजय झा 2014 में भी दरभंगा से चुनाव लड़े थे और 12% वोट के साथ तीसरे स्थान पर रहे थे। वहीं भाजपा की ओर से ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. एसपी सिंह को दावेदार माना जा रहा है। डॉ. एसपी सिंह ने दरभंगा मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य और बाद में ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलाधिपति के रूप में लंबा कार्यकाल बिताया है और लोगों के बीच उनकी अच्छी पहचान है। उन्होंने 25 सितंबर को पटना में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। डॉ. एसपी सिंह ने अभी तक अपना नामांकन दाखिल नहीं किया है, लेकिन क्षेत्र में उनकी सक्रियता का मतलब है कि भाजपा उन्हें अपना उम्मीदवार बना सकती है।