वीडियो में देखें मुस्लिम महिला डॉक्टर का हिजाब खींचने के मामले ने पकडा तूल, जावेद अख्तर ने की कड़ी निंदा, NDA नेताओं ने किया बचाव
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा एक मुस्लिम महिला डॉक्टर का हिजाब खींचे जाने का मामला लगातार गरमाता जा रहा है। यह विवाद शांत होने के बजाय और गहराता नजर आ रहा है। देशभर में इस घटना को लेकर राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। मशहूर लेखक और गीतकार जावेद अख्तर ने इस घटना की तीखी आलोचना करते हुए नीतीश कुमार से बिना शर्त माफी की मांग की है, वहीं एनडीए के नेता मुख्यमंत्री के बचाव में उतर आए हैं।
जावेद अख्तर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर इस मामले को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने लिखा कि जो लोग उन्हें थोड़ा भी जानते हैं, वे यह अच्छी तरह समझते हैं कि वे पर्दा प्रथा के कट्टर विरोधी रहे हैं। बावजूद इसके, उन्होंने स्पष्ट किया कि इसका यह अर्थ बिल्कुल नहीं है कि किसी महिला के साथ इस तरह के व्यवहार को स्वीकार किया जाए। जावेद अख्तर ने लिखा, “मैं नीतीश कुमार द्वारा एक मुस्लिम महिला डॉक्टर के साथ किए गए इस कृत्य की कड़ी निंदा करता हूं। नीतीश कुमार को उस महिला से बिना किसी शर्त के माफी मांगनी चाहिए।”
जावेद अख्तर की इस प्रतिक्रिया के बाद यह मुद्दा और अधिक चर्चा में आ गया है। कई सामाजिक संगठनों और बुद्धिजीवियों ने भी इस घटना को महिला की गरिमा और व्यक्तिगत स्वतंत्रता से जुड़ा मामला बताते हुए आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि किसी भी व्यक्ति, चाहे वह कितने ही बड़े पद पर क्यों न हो, को किसी महिला की धार्मिक या व्यक्तिगत पहचान में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है।
दूसरी ओर, एनडीए के नेता इस मामले में नीतीश कुमार के समर्थन में खड़े नजर आ रहे हैं। केंद्रीय मंत्री और भाजपा सांसद गिरिराज सिंह ने हिजाब हटाने की कार्रवाई को सही ठहराते हुए कहा कि सार्वजनिक कार्यक्रमों और सरकारी आयोजनों में इस तरह के मुद्दों को अलग नजरिए से देखा जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि इस घटना को बेवजह तूल दिया जा रहा है और इसके पीछे राजनीतिक मकसद हो सकते हैं।
एनडीए के अन्य नेताओं का भी कहना है कि मुख्यमंत्री की मंशा किसी का अपमान करने की नहीं थी और पूरे घटनाक्रम को संदर्भ से अलग करके देखा जा रहा है। उनका दावा है कि यह मामला धार्मिक भावनाओं से अधिक एक औपचारिक प्रक्रिया से जुड़ा हुआ था, जिसे गलत तरीके से पेश किया गया।
हालांकि, विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को लेकर नीतीश कुमार पर हमला तेज कर दिया है। विपक्ष का कहना है कि यह घटना न केवल एक महिला के सम्मान का उल्लंघन है, बल्कि अल्पसंख्यक समुदाय के प्रति असंवेदनशीलता को भी दर्शाती है। विपक्षी नेताओं ने मांग की है कि मुख्यमंत्री सार्वजनिक रूप से माफी मांगें और भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हों, इसके लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए जाएं।
फिलहाल, यह मामला राजनीतिक और सामाजिक बहस का केंद्र बना हुआ है। जहां एक ओर इसे महिला सम्मान और व्यक्तिगत स्वतंत्रता से जोड़कर देखा जा रहा है, वहीं दूसरी ओर सत्तारूढ़ गठबंधन इसे अनावश्यक विवाद करार दे रहा है। आने वाले दिनों में यह देखना अहम होगा कि नीतीश कुमार इस पूरे विवाद पर क्या रुख अपनाते हैं और क्या वह सार्वजनिक रूप से कोई बयान या माफी जारी करते हैं।