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वाराणसी के प्राचीन मंदिर में सावन में भी नहीं हो रही पूजा, प्रशासन और समुदाय के बीच तनाव की आशंका

 

प्राचीन और पावन धार्मिक नगरी वाराणसी में एक प्राचीन मंदिर को लेकर स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। जनवरी माह में प्रशासन की सूझबूझ और दो समुदायों के बीच सहमति के बाद इस मंदिर का ताला खोला गया था, लेकिन अब कई महीने बीत जाने के बाद भी सावन जैसे पवित्र माह में भी यहां पूजा-अर्चना का सिलसिला शुरू नहीं हो पाया है।

यह मंदिर अपनी ऐतिहासिक और धार्मिक महत्ता के कारण क्षेत्र के लोगों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। मंदिर के ताले खुलने के समय दोनों समुदायों के बीच सौहार्दपूर्ण सहमति को प्रशासन ने बड़ी उपलब्धि बताया था। लेकिन अब स्थिति ऐसी बनी है कि पूजा-पाठ न हो पाने से स्थानीय लोग असंतुष्ट हैं और चिंता भी बढ़ रही है।

क्यों नहीं हो रही पूजा?

मंदिर में पूजा न होने के कारणों को लेकर स्पष्ट जानकारी नहीं मिल पाई है। स्थानीय सूत्रों का कहना है कि मंदिर के आसपास के दो समुदायों के बीच अभी भी कई अनसुलझे मुद्दे हैं, जिनका समाधान नहीं निकला है। इसके अलावा, मंदिर की प्रबंधन समिति और प्रशासन के बीच भी समन्वय की कमी देखने को मिल रही है।

सावन माह हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है और इस दौरान मंदिरों में भक्ति का माहौल रहता है। लेकिन इस मंदिर में पूजा न हो पाने से न केवल श्रद्धालुओं में निराशा है, बल्कि धार्मिक सद्भाव पर भी प्रश्न चिह्न लगने लगे हैं।

प्रशासन की भूमिका और स्थानीय लोगों की अपेक्षाएं

जनवरी में मंदिर के ताले खुलने की पहल प्रशासन द्वारा की गई थी, जो एक सकारात्मक कदम माना गया था। मगर उसके बाद मंदिर के सुचारू संचालन में आ रही बाधाओं को लेकर अभी तक ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई है। स्थानीय लोग चाहते हैं कि दोनों समुदाय आपसी संवाद बढ़ाएं और मंदिर में पूजा-पाठ फिर से शुरू हो ताकि धार्मिक स्थलों की पवित्रता बनी रहे और समाज में सौहार्द कायम हो।

संभावना और सुझाव

मंदिर के पुनः संचालन के लिए प्रशासन को दोनों समुदायों के बीच मध्यस्थता की भूमिका निभानी होगी। साथ ही मंदिर के प्रबंधन को पारदर्शिता और समन्वय के साथ चलाने की जरूरत है। स्थानीय धार्मिक और सामाजिक संस्थाओं को भी इस मामले में आगे आकर सकारात्मक भूमिका निभानी चाहिए ताकि वाराणसी के इस प्राचीन मंदिर में शीघ्र ही पूजा-पाठ शुरू हो सके और धार्मिक माहौल फिर से लौटे।