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बांका में आसमानी आफत, वज्रपात की चपेट में आकर तीन लोगों की मौत, एक घायल – कई इलाकों में भारी क्षति

 

बिहार के बांका जिले में रविवार दोपहर अचानक बदले मौसम ने तबाही मचा दी। तेज बारिश के साथ हुए भीषण वज्रपात ने कई इलाकों में कहर बरपाया, जिससे तीन लोगों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि एक व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हो गया। इसके अलावा वज्रपात की चपेट में आकर एक गाय की भी मौत हो गई, जिससे ग्रामीणों में भय और शोक का माहौल है।

अलग-अलग थाना क्षेत्रों में घटी घटनाएं

वज्रपात की ये घटनाएं बांका जिले के फुल्लीडुमार, धोरेया, बेलहर और अमरपुर प्रखंडों में अलग-अलग स्थानों पर हुईं। बताया जा रहा है कि पीड़ित खेतों में काम कर रहे थे या फिर बारिश से बचने के लिए किसी पेड़ या खुले स्थान पर खड़े थे, तभी आसमान से गिरी बिजली ने उनकी जान ले ली।

फुल्लीडुमार थाना क्षेत्र में एक 45 वर्षीय किसान की मौत हुई, जो बारिश से बचने के लिए पेड़ के नीचे खड़ा था। वहीं धोरेया और बेलहर क्षेत्रों में दो अन्य लोगों की मौत की सूचना है। अमरपुर प्रखंड में एक व्यक्ति वज्रपात से झुलस गया, जिसे गंभीर हालत में स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इसके अलावा बेलहर इलाके में एक गाय भी बिजली गिरने की चपेट में आ गई, जिससे उसकी मौत हो गई।

प्रशासन की ओर से मुआवजे की घोषणा

घटना की सूचना मिलते ही स्थानीय प्रशासन और आपदा प्रबंधन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और हालात का जायजा लिया। प्रत्येक मृतक के परिजनों को सरकार की ओर से चार लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की गई है। साथ ही घायल व्यक्ति का समुचित इलाज कराने के निर्देश भी दिए गए हैं।

बांका के जिलाधिकारी ने बताया कि सभी संबंधित अंचल अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे वज्रपात से हुई क्षति का विस्तृत मूल्यांकन कर जल्द से जल्द रिपोर्ट सौंपें, ताकि पीड़ित परिवारों को राहत दी जा सके।

मौसम विभाग की चेतावनी

मौसम विभाग ने पहले ही बिहार के कई जिलों में तेज बारिश और वज्रपात को लेकर अलर्ट जारी किया था। विभाग ने लोगों से अपील की है कि बारिश के दौरान खुले मैदानों, पेड़ों के नीचे या ऊंचे स्थानों पर खड़े न हों, क्योंकि यह स्थिति जानलेवा हो सकती है।

ग्रामीणों में दहशत का माहौल

लगातार हो रहे वज्रपात की घटनाओं ने ग्रामीण इलाकों में दहशत का माहौल पैदा कर दिया है। खासकर किसान वर्ग जो मानसून के समय खेतों में सक्रिय रहते हैं, अब भय के कारण खेतों में जाने से भी कतरा रहे हैं।