बिहार सरकार का बड़ा फैसला, भूमि विवादों को खत्म करने की दिशा में बड़ा कदम, 4.17 करोड़ दस्तावेज होंगे डिजिटल
बिहार सरकार ने भूमि विवादों को कम करने और भूमि अभिलेखों में पारदर्शिता लाने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल की है। राज्य सरकार अब भूमि और निबंधन से जुड़े सभी दस्तावेजों को डिजिटाइज करने जा रही है। यह डिजिटलीकरण की प्रक्रिया तीन चरणों में पूरी की जाएगी।
4.17 करोड़ दस्तावेज होंगे डिजिटली संरक्षित
राज्य सरकार की योजना के तहत कुल 4 करोड़ 17 लाख से अधिक दस्तावेज डिजिटल रूप से संरक्षित किए जाएंगे। इनमें जमीन से जुड़े रजिस्ट्री, दाखिल-खारिज, नक्शा, परचा और अन्य अभिलेख शामिल हैं।
डिजिटलीकरण के तीन चरण:
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पहला चरण: पुराने निबंधन दस्तावेजों का स्कैनिंग और डिजिटल संग्रह।
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दूसरा चरण: खसरा, खतियान, नक्शा आदि राजस्व अभिलेखों का डिजिटलीकरण।
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तीसरा चरण: सभी डिजिटलीकृत दस्तावेजों को ऑनलाइन पोर्टल पर उपलब्ध कराना, जिससे आम जनता को आसानी से भूमि संबंधी जानकारी मिल सके।
क्या होगा फायदा?
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भूमि विवादों में कमी आएगी क्योंकि सभी दस्तावेज स्पष्ट और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध होंगे।
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भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी क्योंकि रजिस्ट्री और दाखिल-खारिज की प्रक्रिया पारदर्शी होगी।
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लोगों को त्वरित सेवा मिलेगी और जमीन खरीद-बिक्री की प्रक्रिया आसान होगी।
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सरकारी योजनाओं और भू-अधिग्रहण में समय और लागत की बचत होगी।
अधिकारियों की निगरानी में होगा कार्य
यह पूरा अभियान राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की निगरानी में संचालित किया जा रहा है। संबंधित जिलों के जिला निबंधन कार्यालय, राजस्व कार्यालय और आईटी एजेंसियां इस कार्य में सहयोग कर रही हैं।
यह पहल बिहार में डिजिटल गवर्नेंस की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। सरकार का मानना है कि इससे भूमि संबंधी पारदर्शिता, जनसेवा में सुधार और कानूनी विवादों में गिरावट देखने को मिलेगी।