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तेजस्वी यादव ने सैयारा फिल्म का अनुभव किया साझा, कहा- युवाओं का उत्साह देखकर हैरान रह गए

 

बिहार में सियासत और फिल्म की दुनिया का एक अजीब सा मेल हुआ है, जब आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने हाल ही में फिल्म 'सैयारा' को देखने का अनुभव साझा किया। युवाओं के बीच इस फिल्म का खुमार इन दिनों काफी चर्चा में है, लेकिन अब यह खुमारी नेताओं तक भी पहुंच चुकी है। तेजस्वी यादव ने अपने सिनेमा हॉल जाने के अनुभव को लेकर मीडिया से बातचीत की, जिससे यह साफ हुआ कि फिल्म का आकर्षण केवल दर्शकों तक सीमित नहीं है, बल्कि नेताओं को भी अपनी ओर खींचता है।

तेजस्वी यादव का सिनेमा हॉल अनुभव
तेजस्वी यादव ने न्यूज24 से बातचीत करते हुए बताया, "एक दिन हम मॉल में घूमने गए थे। मॉल के ऊपर सिनेमा हॉल था, और मुझे थोड़ा समय मिला तो मैंने सोचा, क्यों न फिल्म देखी जाए।" इसके बाद उन्होंने सिनेमा हॉल का रुख किया और वहां के मैनेजर से पूछा कि कौन-सी फिल्म चल रही है। जब मैनेजर ने उन्हें बताया कि 'सैयारा' फिल्म लगी हुई है, तो तेजस्वी ने उस फिल्म को देखने का फैसला किया।

लेकिन जब वे सिनेमा हॉल में पहुंचे, तो उन्होंने कुछ ऐसा देखा जिसकी उन्होंने कल्पना भी नहीं की थी। तेजस्वी यादव ने कहा, "जैसे ही हम हॉल में गए, तो सैयारा मूवी देखने के बजाय, लड़का-लड़की हमारे पास आकर फोटो खिंचवाने लगे। यह वाकई चौंकाने वाला था।" तेजस्वी का यह अनुभव फिल्म के स्टारडम के प्रति जनता की दीवानगी और युवाओं के बीच उसकी लोकप्रियता को दर्शाता है।

युवाओं के बीच फिल्म का प्रभाव
सैयारा फिल्म, जो कि एक रोमांटिक और ऐतिहासिक ड्रामा है, युवाओं के बीच खासा हिट हो चुकी है। फिल्म के गाने, कहानी, और अभिनय ने लोगों को अपना दीवाना बना लिया है। तेजस्वी यादव के इस अनुभव से यह भी साफ होता है कि फिल्म और सेलिब्रिटी संस्कृति का प्रभाव अब राजनीति में भी नजर आने लगा है। तेजस्वी ने इस अनुभव को हल्के-फुल्के अंदाज में साझा किया, लेकिन यह इस बात का संकेत भी है कि नेताओं का जनता से जुड़ाव अब सिर्फ सियासी मोर्चे तक ही सीमित नहीं है, बल्कि फिल्मों और सार्वजनिक आयोजनों के माध्यम से भी हो रहा है।

राजनीति और फिल्म का संलयन
यह वाकया यह भी बताता है कि बिहार की राजनीति में युवा और फिल्म संस्कृति का कितना गहरा असर है। तेजस्वी यादव और उनके परिवार के सदस्य, जैसे तेजप्रताप यादव, अक्सर सार्वजनिक जीवन में अपनी गतिविधियों के कारण सुर्खियों में रहते हैं। उनके द्वारा सिनेमा हॉल में जाकर फिल्म देखना और फिर युवाओं से मिलने का अनुभव बताना यह दर्शाता है कि आजकल राजनीति और मनोरंजन की सीमाएं धुंधली हो चुकी हैं।

आगे क्या होगा?
यह घटना साफ तौर पर दिखाती है कि फिल्म और राजनीति दोनों ही क्षेत्र युवाओं को आकर्षित करने का एक अहम जरिया बन गए हैं। आने वाले समय में, और भी नेता और राजनीतिक हस्तियां फिल्म इंडस्ट्री से जुड़ी गतिविधियों में शामिल हो सकती हैं, ताकि वे अपने समर्थकों और आम जनता के साथ जुड़ सकें। तेजस्वी यादव का सैयारा फिल्म देखना और उसका अनुभव शेयर करना इस बात का संकेत है कि राजनीति अब और भी व्यक्तिगत और दिलचस्प तरीके से लोगों के बीच आ रही है।