बिहार विधानसभा सत्र में तेजस्वी यादव का सरकार पर तीखा हमला, SIR की पारदर्शिता पर उठाए सवाल
बिहार विधानमंडल के मानसून सत्र के तीसरे दिन बुधवार को सदन का माहौल काफी गरम रहा। जैसे ही विधानसभा की कार्यवाही शुरू हुई, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने एसआईआर (स्मार्ट इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन) प्रणाली को लेकर सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी इस योजना के विरोध में नहीं है, बल्कि इसकी पारदर्शिता और निष्पक्षता को लेकर सवाल खड़े कर रही है।
तेजस्वी यादव ने सदन में खड़े होकर कहा, “हम SIR का विरोध नहीं कर रहे हैं, बल्कि हम इसके संचालन में पारदर्शिता की कमी और मतदाता सूची में छेड़छाड़ की आशंका का विरोध कर रहे हैं।” उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया यदि निष्पक्ष ढंग से नहीं हुई तो यह लोकतंत्र के लिए खतरा बन सकती है।
इस मुद्दे पर बहस की शुरुआत होते ही विधानसभा अध्यक्ष नंद किशोर यादव ने सभी दलों को इस पर अपनी बात रखने के लिए समय आवंटित कर दिया था। लेकिन जैसे-जैसे बहस आगे बढ़ी, सदन का माहौल और अधिक तनावपूर्ण होता गया। आरजेडी के एक विधायक के विवादास्पद बयान के बाद सदन में हंगामा शुरू हो गया, जिसके चलते कार्यवाही को दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित करना पड़ा।
तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि आयोग को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि एसआईआर प्रणाली के जरिए किसी भी जाति, वर्ग या समुदाय के वोटरों के नाम जानबूझकर हटाए न जाएं। उन्होंने इस मुद्दे को लेकर आगामी विधानसभा चुनावों में संभावित गड़बड़ियों की आशंका जताई और निष्पक्षता की मांग की।
इस दौरान विपक्ष के कई अन्य नेताओं ने भी तेजस्वी यादव का समर्थन किया और सरकार से इस मामले में विस्तृत जवाब देने की मांग की। वहीं, सत्ता पक्ष के नेताओं ने विपक्ष पर बेबुनियाद आरोप लगाने का आरोप लगाया और कहा कि एसआईआर प्रणाली को राज्य में पारदर्शी और तकनीकी रूप से सशक्त चुनाव प्रक्रिया के लिए लागू किया जा रहा है।
बता दें कि बिहार में आने वाले कुछ महीनों में विधानसभा चुनाव की तैयारियां शुरू हो सकती हैं, ऐसे में मतदाता सूची और चुनाव से जुड़े सभी मुद्दे संवेदनशील बनते जा रहे हैं। एसआईआर जैसे तकनीकी उपायों को लेकर जितनी उम्मीदें हैं, उतनी ही चिंताएं भी सामने आ रही हैं, खासकर जब विपक्ष इसके गलत इस्तेमाल की आशंका जता रहा है।
फिलहाल, यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस मुद्दे पर विपक्ष के सवालों का कैसे जवाब देती है और चुनाव आयोग इस पूरी प्रक्रिया को कितना पारदर्शी बनाता है।