सुप्रिया देव की सफलता बनी प्रेरणा, रघुनाथपुरी की बेटी ने UGC-NET में लहराया परचम
बिहार के रघुनाथपुरी मोहल्ला की सुप्रिया देव ने यह साबित कर दिया है कि कड़ी मेहनत, समर्पण और आत्मबल से कोई भी मंजिल दूर नहीं होती। अधिवक्ता देव कुमार की पुत्री सुप्रिया ने यूजीसी-नेट (UGC-NET) की हालिया परीक्षा में सफलता हासिल कर जिले और परिवार का नाम रौशन किया है। उनकी यह सफलता सिर्फ एक शैक्षणिक उपलब्धि नहीं, बल्कि जिले के हजारों युवाओं के लिए एक प्रेरणास्त्रोत बन गई है।
सुप्रिया की सफलता की कहानी साधारण नहीं है। सीमित संसाधनों और पारिवारिक जिम्मेदारियों के बावजूद उन्होंने अपनी पढ़ाई को प्राथमिकता दी और बिना किसी कोचिंग के तैयारी कर यूजीसी नेट में क्वालिफाई किया। सुप्रिया ने राजनीति विज्ञान विषय से परीक्षा दी थी और पहली ही बार में यह प्रतिष्ठित परीक्षा पास की। यह उपलब्धि दर्शाती है कि कठिन मेहनत और सही दिशा में प्रयास किए जाएं तो सफलता अवश्य मिलती है।
सुप्रिया बताती हैं कि उन्होंने प्रतिदिन छह से आठ घंटे की नियमित पढ़ाई की। उन्होंने एनसीईआरटी, यूजीसी नेट की ऑफिशियल किताबें और पिछले वर्षों के प्रश्नपत्रों का विश्लेषण करते हुए तैयारी की। डिजिटल संसाधनों का भी उन्होंने प्रभावी उपयोग किया। उनका कहना है कि अनुशासन, धैर्य और खुद पर विश्वास ही सफलता की असली कुंजी है।
सुप्रिया की मां एक गृहिणी हैं और हमेशा पढ़ाई में उनका उत्साहवर्धन करती रही हैं। पिता देव कुमार ने अपनी व्यस्त अधिवक्ता दिनचर्या के बीच भी सुप्रिया को हरसंभव सहयोग दिया। परिवार का मजबूत समर्थन ही उनकी सफलता का एक बड़ा आधार रहा है। सुप्रिया की यह सफलता सिर्फ उनके परिवार की नहीं, बल्कि पूरे जिले की उपलब्धि मानी जा रही है।
सुप्रिया का अगला लक्ष्य कॉलेज में लेक्चरर बनना है। वे उच्च शिक्षा में करियर बनाकर समाज की सेवा करना चाहती हैं और आने वाली पीढ़ियों को शिक्षित कर उन्हें आगे बढ़ने की राह दिखाना चाहती हैं। साथ ही, वह अब अपनी सफलता का अनुभव साझा करते हुए अन्य छात्रों को मार्गदर्शन भी देना चाहती हैं।
इस परीक्षा में जिले के कई अन्य प्रतिभाशाली युवाओं ने भी सफलता हासिल की है। लेकिन सुप्रिया देव की कहानी इसलिए खास है क्योंकि उन्होंने सीमित संसाधनों में भी असंभव को संभव कर दिखाया।
सुप्रिया की इस सफलता से जिले के युवाओं में नई ऊर्जा और आत्मविश्वास का संचार हुआ है। वह यह संदेश देती हैं कि अगर इरादे बुलंद हों तो कोई भी परीक्षा कठिन नहीं होती। उनकी कहानी हर उस युवा के लिए प्रेरणा है, जो किसी बड़े लक्ष्य की तैयारी में जुटा है।
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