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सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के पूर्व विधायक अवनीश कुमार सिंह को लगाई फटकार, 21 लाख का किराया वसूला जाएगा

 

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के पूर्व विधायक अवनीश कुमार सिंह को सरकारी आवास पर अनधिकृत कब्जा जमाए रखने पर कड़ी फटकार लगाई है। शीर्ष अदालत ने पटना हाई कोर्ट के आदेश को बरकरार रखते हुए उन्हें बकाया किराए के साथ-साथ ब्याज चुकाने का भी निर्देश दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने सख्त रुख में साफ कहा कि कोई भी व्यक्ति — चाहे वह किसी भी पद पर रहा हो — सरकारी आवास पर अनंत काल तक कब्जा बनाए नहीं रख सकता। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई, जस्टिस के. विनोद चंद्रन और जस्टिस एन.वी. अंजारिया की तीन सदस्यीय पीठ ने सुनाया।

अदालत ने निर्देश दिया कि पूर्व विधायक अवनीश कुमार सिंह को 21 लाख रुपये का बकाया किराया देना होगा, साथ ही उस पर 24 अगस्त 2016 से लेकर भुगतान की तिथि तक 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज भी अदा करना होगा।

सुनवाई के दौरान पीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा, “यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि जनप्रतिनिधि होने के बावजूद कोई व्यक्ति नियमों की अनदेखी कर वर्षों तक सरकारी संपत्ति पर कब्जा जमाए रखता है।” कोर्ट ने यह भी कहा कि इस तरह का रवैया लोकतांत्रिक व्यवस्था और सार्वजनिक संसाधनों के प्रति उत्तरदायित्व को कमजोर करता है।

गौरतलब है कि पटना हाई कोर्ट ने पहले ही अवनीश कुमार सिंह को सरकारी आवास खाली करने और बकाया किराया चुकाने का आदेश दिया था, जिसे उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। अब सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले पर मुहर लगाते हुए सिंह की याचिका को खारिज कर दिया है।

इस मामले में अब बिहार सरकार की जिम्मेदारी होगी कि वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार बकाया राशि वसूल कर कानूनी प्रक्रिया पूरी करे।

यह फैसला न केवल पूर्व विधायकों और जनप्रतिनिधियों के लिए एक सख्त संदेश है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि सार्वजनिक संपत्ति के दुरुपयोग को अब अदालतें बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करेंगी।

इस आदेश के बाद राजनीतिक हलकों में भी चर्चा तेज हो गई है। कई सामाजिक कार्यकर्ताओं और विपक्षी नेताओं ने इस फैसले का स्वागत करते हुए इसे "लोकतंत्र की मर्यादा और संसाधनों की रक्षा की दिशा में एक मजबूत कदम" बताया है।

अब निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या अन्य राज्यों में भी ऐसे मामलों में सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले की तर्ज पर सख्ती दिखाई जाएगी, जिससे सरकारी संसाधनों के दुरुपयोग पर रोक लग सके।