सामाजिक सुरक्षा पेंशन में बढ़ोतरी पर सियासी संग्राम, आरजेडी ने नीतीश सरकार को बताया 'नकलची'
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बड़ा दांव चलते हुए सामाजिक सुरक्षा पेंशन की राशि ₹400 से बढ़ाकर ₹1100 प्रति माह कर दी है। इस फैसले से राज्य के 1 करोड़ 11 लाख लाभार्थियों को सीधे लाभ मिलेगा। शुक्रवार को मुख्यमंत्री ने डीबीटी (Direct Benefit Transfer) के जरिए सभी लाभुकों के खातों में एक साथ यह राशि भेजी।
जहां एक ओर इस कदम को नीतीश सरकार की कल्याणकारी सोच बताया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर विपक्ष ने इसे राजनीतिक स्टंट और योजना की नकल करार दिया है।
आरजेडी का आरोप: “यह नकलची सरकार है”
राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने इस योजना को लेकर नीतीश सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा:
"यह सरकार नकलची है। हमारे जनकल्याणकारी घोषणापत्र से योजना चुराकर अपना बता रही है। जब हमने पेंशन बढ़ाने की बात कही थी, तब इन्हीं लोगों ने मजाक उड़ाया था। अब चुनाव सामने हैं तो जनता को लुभाने के लिए हमारे ही सुझावों की नकल की जा रही है।"
तिवारी ने यह भी आरोप लगाया कि सिर्फ घोषणा करने से कुछ नहीं होता, ज़रूरत है पारदर्शी और ईमानदार क्रियान्वयन की।
नीतीश कुमार का जवाब: “जनता का हक लौटाना मेरा कर्तव्य”
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विपक्ष के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा:
"हमने हमेशा से सामाजिक न्याय और विकास को साथ लेकर चलने की नीति अपनाई है। यह कोई चुनावी फैसला नहीं, बल्कि एक दीर्घकालिक योजना का हिस्सा है। जनता को उनका हक लौटाना हमारा कर्तव्य है।"
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सामाजिक सुरक्षा पेंशन में बढ़ोतरी का निर्णय आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए लिया गया है और यह स्थायी रूप से लागू रहेगा।
राजनीतिक रणनीति या जनकल्याण?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सामाजिक सुरक्षा पेंशन में इस तरह की भारी बढ़ोतरी चुनावी वर्ष में साफ संकेत देती है कि एनडीए सरकार जनहित के मुद्दों पर फोकस करके विपक्ष की घेराबंदी करना चाहती है। वहीं, विपक्ष यह जताने की कोशिश कर रहा है कि यह सब कुछ उनके दबाव और घोषणाओं का ही असर है।