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जमीन हड़पने के लिए रिटायर्ड फौजी को कागजों में किया मृत घोषित, समस्तीपुर में भू-माफियाओं की सनसनीखेज साजिश

 

बिहार के समस्तीपुर जिले के कल्याणपुर प्रखंड से एक हैरान कर देने वाला और चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां जमीन हड़पने की नीयत से भू-माफियाओं ने एक रिटायर्ड फौजी को कागजों में मृत घोषित कर दिया। हैरानी की बात यह है कि जीवित होने के बावजूद अब यह पूर्व सैनिक अपनी ही जिंदगी का सबूत लेकर सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने को मजबूर है।

कल्याणपुर थाना क्षेत्र के झखरा गांव निवासी 63 वर्षीय अरुण कुमार ठाकुर, जो भारतीय सेना से सेवानिवृत्त हैं, ने बताया कि कुछ लोगों ने उनकी जमीन पर कब्जा करने की साजिश रची। इसके तहत उन्हें राजस्व अभिलेखों में मृत दिखा दिया गया, ताकि जमीन को अपने नाम दर्ज कराया जा सके।

अरुण कुमार ठाकुर के अनुसार, वह लंबे समय तक सेना में देश की सेवा करने के बाद सेवानिवृत्त हुए और गांव लौटकर अपनी पैतृक जमीन पर रह रहे हैं। कुछ समय पहले जब उन्होंने जमीन से जुड़े कागजात निकलवाने की कोशिश की, तब उन्हें इस फर्जीवाड़े की जानकारी मिली। राजस्व रिकॉर्ड में उनका नाम मृत व्यक्ति के रूप में दर्ज था।

इस खुलासे के बाद अरुण कुमार ठाकुर अंचल कार्यालय पहुंचे, जहां से उन्हें अलग-अलग विभागों के चक्कर लगाने की सलाह दी गई। इसके बाद वे कलेक्ट्रेट तक पहुंचे, लेकिन अब तक उन्हें न्याय नहीं मिल सका है। पूर्व सैनिक का कहना है कि हर कार्यालय में उनसे अलग-अलग दस्तावेज मांगे जा रहे हैं, जबकि वह खुद जीवित होकर सामने खड़े हैं।

पीड़ित रिटायर्ड फौजी ने आरोप लगाया है कि इस पूरे फर्जीवाड़े में स्थानीय भू-माफिया और कुछ कर्मियों की मिलीभगत हो सकती है। बिना किसी सत्यापन के किसी व्यक्ति को मृत घोषित कर देना प्रशासनिक व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है।

अरुण कुमार ठाकुर ने कहा, “मैंने देश की रक्षा के लिए जीवन के कई साल दिए, लेकिन आज मुझे यह साबित करना पड़ रहा है कि मैं जिंदा हूं। यह मेरे लिए बेहद अपमानजनक और मानसिक रूप से पीड़ादायक है।”

मामले के सामने आने के बाद स्थानीय स्तर पर भी चर्चा तेज हो गई है। ग्रामीणों का कहना है कि इलाके में जमीन विवाद और फर्जीवाड़े के मामले पहले भी सामने आ चुके हैं, लेकिन यह घटना व्यवस्था की सबसे गंभीर विफलता को उजागर करती है।

प्रशासन की ओर से बताया गया है कि शिकायत मिलने के बाद मामले की जांच शुरू कर दी गई है। संबंधित अंचल कार्यालय से रिपोर्ट तलब की गई है और यदि फर्जीवाड़े की पुष्टि होती है तो दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

यह मामला न सिर्फ भू-माफियाओं की दबंगई को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि कैसे एक जीवित व्यक्ति को कागजों में मृत दिखाकर उसकी संपत्ति पर कब्जा किया जा सकता है। सवाल यह है कि अगर एक रिटायर्ड फौजी को न्याय पाने के लिए भटकना पड़ रहा है, तो आम नागरिकों की स्थिति क्या होगी?

फिलहाल अरुण कुमार ठाकुर न्याय की उम्मीद लगाए प्रशासनिक दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं और अपनी जमीन के साथ-साथ अपने अस्तित्व को बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं।