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तेजस्वी यादव के पत्रकारों पर विवादित बयान को लेकर सियासत गरम, भाजपा ने की माफी की मांग

 

राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव एक बार फिर विवादों में घिर गए हैं। इस बार मामला उनके द्वारा पत्रकारों के लिए विवादित शब्दों के प्रयोग का है। बयान सामने आते ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है और इसे लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर हमला करार दिया है।

भाजपा प्रवक्ता गुरु प्रकाश पासवान का हमला

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता गुरु प्रकाश पासवान ने तेजस्वी यादव के बयान की कड़ी निंदा करते हुए कहा,
"यह बयान केवल पत्रकारिता के प्रति असम्मान नहीं, बल्कि लोकतंत्र की जड़ों पर प्रहार है। तेजस्वी यादव को तुरंत इस बयान के लिए माफी मांगनी चाहिए।"

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि राजद के नेता अक्सर लोकतंत्र की मर्यादाओं को ताक पर रखकर ऐसे बयान देते हैं जो देश की संस्थाओं को कमजोर करते हैं। पासवान ने कहा कि तेजस्वी यादव का यह रवैया उनकी निराशा और असहिष्णुता को दर्शाता है, जो लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए खतरा है।

विपक्ष के निशाने पर तेजस्वी

तेजस्वी यादव के बयान को लेकर न सिर्फ भाजपा बल्कि अन्य विपक्षी दलों और पत्रकार संगठनों ने भी कड़ी आपत्ति जताई है। सोशल मीडिया पर कई वरिष्ठ पत्रकारों और संपादकों ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताया है और नेताओं से प्रेस की गरिमा बनाए रखने की अपील की है।

राजद की सफाई

विवाद बढ़ता देख राजद की ओर से भी प्रतिक्रिया आई है। पार्टी प्रवक्ताओं ने कहा कि तेजस्वी यादव का आशय किसी व्यक्ति विशेष को अपमानित करने का नहीं था, बल्कि वे कुछ चुनिंदा पत्रकारों के "भ्रामक रिपोर्टिंग" पर नाराज थे। हालांकि पार्टी ने यह भी कहा कि बयान को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत किया जा रहा है।

लोकतंत्र में मीडिया की भूमिका पर बहस

इस घटनाक्रम ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि राजनीतिक नेताओं द्वारा मीडिया के प्रति आक्रामकता कितनी उचित है। लोकतंत्र में मीडिया को चौथा स्तंभ कहा जाता है और उसकी स्वतंत्रता को संविधान द्वारा संरक्षित किया गया है। ऐसे में किसी भी वरिष्ठ नेता का इस प्रकार का बयान लोकतांत्रिक मर्यादाओं के खिलाफ माना जा रहा है।