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'मन की बात' में पीएम मोदी ने याद किए स्वतंत्रता संग्राम सेनानी खुदीराम बोस, बताया प्रेरणादायक बलिदान

 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' के ताजा एपिसोड में स्वतंत्रता संग्राम के वीर क्रांतिकारी खुदीराम बोस को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने खुदीराम बोस के साहस और देशभक्ति को याद करते हुए कहा कि उनका बलिदान आज भी पूरे देश के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि “स्वतंत्रता संग्राम में अनेक वीरों ने अपने प्राणों की आहुति दी। आज मैं ऐसे ही एक महान क्रांतिकारी खुदीराम बोस को स्मरण करता हूँ, जिन्होंने बहुत ही कम उम्र में देश के लिए अपना जीवन न्योछावर कर दिया।”

प्रधानमंत्री ने इस दौरान 11 अगस्त 1908 की ऐतिहासिक घटना का ज़िक्र किया। उन्होंने बताया कि यह वह दिन था जब बिहार के मुजफ्फरपुर में सुबह-सुबह खुदीराम बोस को अंग्रेजी हुकूमत ने फांसी पर चढ़ा दिया था। उस समय खुदीराम बोस की उम्र मात्र 18 वर्ष थी। इतनी कम उम्र में देश के लिए बलिदान देना उनकी असाधारण देशभक्ति को दर्शाता है।

पीएम मोदी ने कहा, “खुदीराम बोस जैसे युवा हमें सिखाते हैं कि देश के लिए कुछ करने का जज्बा उम्र का मोहताज नहीं होता। वह सिर्फ 18 साल के थे, लेकिन उनका आत्मबल, संकल्प और साहस असाधारण था।”

गौरतलब है कि खुदीराम बोस को 1908 में अंग्रेज मजिस्ट्रेट किंग्सफोर्ड की हत्या के प्रयास के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ हथियार उठाया और स्वतंत्रता की राह में अपनी जान कुर्बान कर दी। फांसी के दिन खुदीराम ने गर्व और मुस्कान के साथ अपना आखिरी सफर तय किया था।

प्रधानमंत्री ने युवाओं से अपील की कि वे खुदीराम बोस जैसे क्रांतिकारियों के जीवन से प्रेरणा लें और देश की सेवा के लिए समर्पित रहें। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे वीरों के योगदान को भुलाया नहीं जाना चाहिए, बल्कि उनके बलिदान को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाना हमारी जिम्मेदारी है।

'मन की बात' के इस भावुक प्रसंग ने देशवासियों को आज़ादी की उस लड़ाई की याद दिला दी, जिसमें असंख्य युवाओं ने हंसते-हंसते अपने प्राणों की आहुति दे दी। खुदीराम बोस जैसे योद्धाओं की वीर गाथाएं आज भी देश के युवाओं में देशभक्ति की भावना जगाने का कार्य करती हैं।