पटना एम्स में डॉक्टरों की हड़ताल: बाहुबली आनंद मोहन और सांसद लवली आनंद के बेटे पर मारपीट का आरोप
बिहार की राजधानी पटना स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में डॉक्टरों ने हड़ताल का ऐलान किया है। इस हड़ताल के कारण शुक्रवार सुबह 9 बजे से पटना एम्स में ओपीडी और आपातकालीन सेवाएं पूरी तरह से ठप हो गई हैं। डॉक्टरों ने आरोप लगाया है कि बाहुबली नेता आनंद मोहन और उनकी पत्नी, सांसद लवली आनंद के बेटे चेतन आनंद ने एम्स के डॉक्टरों और सुरक्षाकर्मियों के साथ मारपीट की है।
क्या है मामला?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, चेतन आनंद बुधवार रात पटना एम्स अस्पताल में एक मरीज से मिलने पहुंचे थे। इस दौरान सुरक्षाकर्मियों और डॉक्टरों के साथ उनकी बहस हो गई, जो बाद में मारपीट में बदल गई। आरोप है कि चेतन आनंद ने न केवल अस्पताल के सुरक्षाकर्मियों के साथ मारपीट की, बल्कि डॉक्टरों के साथ भी अभद्रता की।
हड़ताल की घोषणा
इस घटना के बाद, एम्स के डॉक्टरों ने सुरक्षा की कमी और समान्य व्यवहार की शिकायत करते हुए हड़ताल का ऐलान कर दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि वे खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं और यदि उनके साथ ऐसे कृत्य होते हैं तो अस्पताल में काम करना मुश्किल हो जाएगा।
सभी सेवाएं ठप
डॉक्टरों के हड़ताल पर जाने के कारण एम्स के ओपीडी (आउट पेशंट डिपार्टमेंट) और आपातकालीन सेवाएं पूरी तरह से ठप हो गई हैं, जिससे मरीजों को भारी असुविधा हो रही है। खासकर उन मरीजों के लिए यह स्थिति चिंताजनक है जो पहले से अस्पताल में भर्ती हैं या जिन्हें तुरंत चिकित्सा सहायता की आवश्यकता है।
पुलिस और प्रशासन की जांच
इस घटना के बाद पटना पुलिस ने मामला दर्ज किया है और जांच शुरू कर दी है। डॉक्टरों और सुरक्षाकर्मियों के बयान दर्ज किए जा रहे हैं, जबकि चेतन आनंद और उनके समर्थकों से भी पूछताछ की जा रही है।
डॉक्टरों का गुस्सा
डॉक्टरों का कहना है कि यदि मामले में कड़ी कार्रवाई नहीं की गई तो वे अपनी हड़ताल जारी रखेंगे। इसके साथ ही वे अस्पताल में अपने काम करने के माहौल को सुरक्षित बनाए रखने की मांग कर रहे हैं।
प्रशासन से अपील
एम्स के डॉक्टरों ने राज्य प्रशासन से अपील की है कि वे अस्पताल के कर्मचारियों और चिकित्सकों की सुरक्षा सुनिश्चित करें, ताकि मरीजों को कोई परेशानी न हो और स्वास्थ्य सेवाएं बिना किसी विघ्न के चल सकें।
क्या होगा आगे?
इस पूरे मामले पर राजनीतिक हलचल भी तेज हो गई है। डॉक्टरों और सुरक्षाकर्मियों पर हमले के बाद इस मामले को लेकर कई राजनीतिक बयान सामने आए हैं। यह देखा जाना होगा कि प्रशासन और संबंधित अधिकारियों द्वारा इस मामले में किस प्रकार की कार्रवाई की जाती है और डॉक्टरों की हड़ताल कब तक जारी रहती है।