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16 हजार में से सिर्फ 11 शिक्षकों ने राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार के लिए किया आवेदन, शिक्षा विभाग हैरान

 

शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने वाले शिक्षकों को सम्मानित करने के लिए हर वर्ष दिया जाने वाला राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार इस बार भागलपुर जिले में शिक्षकों की उदासीनता की भेंट चढ़ता नजर आ रहा है। जिले में लगभग 16 हजार सेवारत शिक्षक हैं, लेकिन उनमें से महज 11 शिक्षकों ने इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए आवेदन किया है।

शिक्षा विभाग द्वारा पोर्टल पर राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2025 के लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू की गई थी। जिले से कुल 18 शिक्षकों ने प्रारंभिक पंजीकरण तो कराया, लेकिन अंतिम रूप से केवल 11 शिक्षकों ने अपने आवेदन सबमिट किए। इस संख्या को लेकर शिक्षा विभाग के अधिकारी चिंतित और हैरान हैं।

सवाल उठाता है ये आंकड़ा

ऐसे समय में जब शिक्षक सम्मान और पहचान की उम्मीद रखते हैं, इतनी कम भागीदारी कई सवाल खड़े करती है। क्या शिक्षक इस प्रक्रिया को जटिल मानते हैं? या फिर उन्हें लगता है कि उनके चयन की संभावना कम है? कुछ शिक्षकों का यह भी कहना है कि उन्हें समय पर इसकी जानकारी नहीं मिलती, जबकि कई इस प्रक्रिया को पारदर्शी नहीं मानते

विभागीय स्तर पर मंथन शुरू

शिक्षा विभाग के अधिकारी अब इस मुद्दे को गंभीरता से ले रहे हैं। विभागीय सूत्रों के अनुसार, अगले वर्ष के लिए प्रचार-प्रसार और कार्यशालाओं के माध्यम से शिक्षकों को प्रेरित किया जाएगा ताकि अधिक संख्या में शिक्षक आवेदन करें। विभाग का मानना है कि जिले में कई योग्य शिक्षक हैं, लेकिन जागरूकता की कमी और आवेदन प्रक्रिया को लेकर भ्रम के चलते वे इससे वंचित रह जाते हैं।

राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार का महत्व

यह पुरस्कार उन शिक्षकों को दिया जाता है जिन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किए हों और जिनके प्रयासों से छात्रों के जीवन में सकारात्मक बदलाव आया हो। यह पुरस्कार न केवल व्यक्तिगत सम्मान है, बल्कि इससे अन्य शिक्षकों को भी प्रेरणा मिलती है।

शिक्षक संगठनों की भी भूमिका जरूरी

शिक्षक संगठनों से भी उम्मीद की जा रही है कि वे इस प्रक्रिया में सक्रिय भूमिका निभाएं और शिक्षकों को पुरस्कार के लिए आवेदन करने के लिए प्रोत्साहित करें।

निष्कर्ष:
भागलपुर जैसे बड़े जिले से राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार के लिए केवल 11 आवेदन आना चिंता का विषय है। यह न केवल शिक्षकों की भागीदारी पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कहीं न कहीं प्रेरणा और जागरूकता का अभाव है। यदि योग्य शिक्षक आगे नहीं आएंगे तो शिक्षा व्यवस्था को नई दिशा देना मुश्किल हो जाएगा। अब जरूरत है कि शिक्षा विभाग, शिक्षक संगठन और स्कूल प्रशासन मिलकर इस पर गंभीरता से काम करें।