×

नीतीश की पकड़ मजबूत, तेजस्वी की लोकप्रियता में गिरावट, प्रशांत किशोर बन रहे विकल्प

 

बिहार की राजनीति में 2025 के विधानसभा चुनावों से पहले सियासी सरगर्मियां तेज हो गई हैं। हाल ही में जारी C-Voter के मासिक ट्रैकर सर्वे ने एक बार फिर राज्य की राजनीति में बदलाव के संकेत दिए हैं। सर्वे के आंकड़ों के अनुसार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की लोकप्रियता में इज़ाफा हुआ है, जबकि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की छवि को झटका लगा है। वहीं, राजनीतिक रणनीतिकार से जन नेता बनते प्रशांत किशोर का बढ़ता जनाधार एक नया राजनीतिक विकल्प तैयार कर रहा है।

नीतीश कुमार: अनुभव और स्थिरता का प्रतीक

C-Voter सर्वे के मुताबिक, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रति जनता की संतुष्टि बढ़ी है। उनके सुशासन, कानून व्यवस्था और आधारभूत सुविधाओं पर केंद्रित योजनाओं को लोगों का समर्थन मिल रहा है। खासकर ग्रामीण इलाकों में उनकी 'हर घर नल का जल', 'सात निश्चय योजना' और महिला सशक्तिकरण जैसे कार्यक्रमों की सराहना हो रही है। सर्वे में नीतीश को फिर से मुख्यमंत्री के रूप में देखने की इच्छा जताने वाले मतदाताओं की संख्या में इज़ाफा दर्ज किया गया है।

तेजस्वी यादव: क्यों घट रही है लोकप्रियता?

वहीं, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव की लोकप्रियता में गिरावट दर्ज की गई है। इसका एक प्रमुख कारण यह माना जा रहा है कि उन्होंने विपक्ष की भूमिका में अपेक्षित आक्रामकता नहीं दिखाई। युवाओं में बेरोजगारी को लेकर जो उम्मीदें तेजस्वी से जुड़ी थीं, वे पूरी होती नहीं दिखीं। इसके अलावा पार्टी के अंदरूनी मतभेद, संगठनात्मक कमजोरी और परिवार के इर्द-गिर्द सीमित राजनीति ने भी तेजस्वी की छवि को प्रभावित किया है। कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि तेजस्वी के भाषणों और जनसंपर्क कार्यक्रमों में निरंतरता की कमी ने भी उन्हें नुकसान पहुँचाया।

प्रशांत किशोर: जनता के बीच मजबूत होती पकड़

इस राजनीतिक परिदृश्य में प्रशांत किशोर का नाम तेजी से उभर रहा है। ‘जन सुराज’ अभियान के माध्यम से वे गांव-गांव जाकर जनता से संवाद कर रहे हैं और स्थानीय समस्याओं को समझने का प्रयास कर रहे हैं। उनकी रणनीति 'जनता की भागीदारी से राजनीति' की ओर इशारा करती है, जो पारंपरिक दलों से अलग है। प्रशांत किशोर का जमीनी जुड़ाव और साफ-सुथरी राजनीति की छवि उन्हें एक मजबूत विकल्प के रूप में स्थापित कर रही है।