नवादा व्यवहार न्यायालय ने फुलवरिया जलाशय परियोजना के विस्थापितों के मुआवजा नहीं मिलने पर जारी किया ऐतिहासिक कुर्की आदेश
फुलवरिया जलाशय परियोजना (रजौली) से विस्थापित हुए लोगों को अब तक मुआवजा न दिए जाने के मामले में नवादा व्यवहार न्यायालय ने एक बड़ा और ऐतिहासिक आदेश जारी किया है। सब-जज प्रथम आशीष रंजन की अदालत ने मुआवजा भुगतान में हो रही गंभीर देरी और अदालत के आदेशों की अवहेलना को लेकर नवादा समाहरणालय और सर्किट हाउस (परिषद भवन) को कुर्क करने का आदेश दिया है।
यह आदेश उस समय आया है जब लंबे समय से विस्थापितों को उनका कानूनी हक नहीं मिला है। अदालत ने कहा कि मुआवजा न मिलने से विस्थापितों की आर्थिक और सामाजिक स्थिति प्रभावित हुई है, और संबंधित सरकारी विभागों की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
सुनवाई के दौरान अदालत ने समाहरणालय और परिषद भवन की कुर्की का आदेश देते हुए स्पष्ट किया कि यदि मुआवजे की राशि तुरंत भुगतान नहीं की गई तो आगे की कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। न्यायालय ने प्रशासन को निर्देश दिया है कि वे तत्काल कदम उठाकर विस्थापितों को उनके हक का भुगतान सुनिश्चित करें।
विस्थापितों के अधिकारों की इस लड़ाई में यह फैसला एक मील का पत्थर माना जा रहा है। स्थानीय जनता और प्रभावित परिवारों ने न्यायालय के इस आदेश का स्वागत किया है और प्रशासन से आग्रह किया है कि वे शीघ्रता से मुआवजा वितरण करें।