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MADHUBANI  नरूआर आईबी पर रह रहे बाढ़ विस्थापितों से मिलने पहुंचे एडीएम

 

बिहार न्यूज़ डेस्क !!! सरकार द्वारा दी गई पर्चे की जमीन के संदर्भ में आवश्यक जानकारी ली और उनकी मांगों के बाबत भी पूछताछ की। CM  के जनता दरबार में बाढ़ विस्थापित परिवारों को पर्चा की जमीन पर दखल कब्जा नहीं मिलने को लेकर की गई शिकायत के आलोक में अधिकारी पहुंचे थे। वहीं दूसरी ओर मधुबनी जिले के प्रभारी मंत्री का झंझारपुर संभावित है। खबरों से प्राप्त जानकर के अनुसार बताया जा रहा है कि,जिसे देखते हुए प्रशासनिक हलचल तेज हो गई है।

एसडीओ शैलेश कुमार चौधरी ने कहा कि पहले पर्चा में मिली जमीन में मिट्टी भरने की शर्त रखी गई है। गड्ढे वाले जमीन को भी विस्थापित परिवार के लोग पूरी तरह भरकर देने की शर्त रखते हैं। इनका कहना है कि वह पुश्तैनी जमीन है जहां बहुत गढ्ढा है। वह तो हमारी है ही। उसे पुरी तरह भर कर, ठीक कर दें। पर्चे में मिली जमीन सीएम के द्वारा दी गई है। जिस को भी पूरी तरह भर कर दें। अधिकारियों ने समझाने की कोशिश किया कि दोनों जगह गढ्ढे को भर कर देना कठिनाई भरा लगता है। बिना वरीय निर्देश के आलोक में यह काम नहीं की जा सकती है। एसडीओ ने कहा कि पर्चे की जमीन खेत है, घर बनाने के लिऐ मिट्टी भराई जा सकती है। मीडिया रिपेार्ट के अनुसार बताया जा रहा है कि,जिन पर्चे में किसी प्रकार का दखल कब्जा में विवाद होगा उसे भी प्रशासन दुरुस्त करने को तैयार है।

अधिकारी ने बताया कि यथा स्थिति प्रतिवेदन और विस्थापित परिवारों की बातों को समाहित करते हुए डीएम को नया प्रतिवेदन दिया जाएगा। झंझारपुर के नरुआर आईबी परिसर में तंबू डालकर दो वर्ष से दिनों से रहने वाले बाढ़ विस्थापित परिवारों से मिलने मंगलवार को एडीएम एवं एसडीओ ने पहुंच कर अधतन जानकारी ली।विस्थापितो का कहना है कि सरकारी पर्चा उपलब्ध कराया गया है। उपलब्ध कराते वक्त जमीन को भर कर देने की बात कही थी। गड्ढे में घर नहीं बनाया जा सकता। हालांकि अब तक ना प्रशासन द्वारा पर्चा में दी गई जमीन को ही भरा गया है और ना ही जहां इनका घर बहा हुआ था उस गड्ढे को ही भरा गया है। फिलवक्त आधे से अधिक बाढ़ विस्थापित परिवार के रोजगार की तलाश में निकले हुए हैं और बचे हुए लोग तंबू के नीचे ही जीवन गुजर बसर कर रहे हैं। प्रशासन के लिए बाढ़ से विस्थापित हुए 54 परिवार का पुनर्वास जी का जंजाल बनता जा रहा है।