कटिहार में ड्रोन की मदद से इंटरसिटी एक्सप्रेस में छिपाई गई शराब बरामद, तस्कर फरार
शराबबंदी वाले राज्य बिहार में शराब तस्करों की नई-नई तरकीबों पर अब हाईटेक निगरानी शुरू हो गई है। इसी कड़ी में कटिहार रेलवे स्टेशन पर रेलवे पुलिस (RPF) ने ड्रोन कैमरे की मदद से इंटरसिटी एक्सप्रेस की एक बोगी में छिपाकर लाई जा रही शराब की बड़ी खेप का भंडाफोड़ किया है। हालांकि तस्कर मौके से फरार हो गया, लेकिन आरपीएफ इस कार्रवाई को एक बड़ी सफलता मान रही है।
कैसे हुआ खुलासा?
कटिहार में रेलवे पुलिस को गुप्त सूचना मिली थी कि इंटरसिटी एक्सप्रेस की एक बोगी में अवैध शराब की खेप लाई जा रही है। इसके बाद RPF की विशेष टीम ने ड्रोन कैमरे की मदद से बोगियों की निगरानी शुरू की। ड्रोन से मिली फुटेज में एक बोगी में संदिग्ध गतिविधि दिखी, जिसके बाद टीम ने ट्रेन के कटिहार पहुंचते ही उस बोगी की तलाशी ली।
क्या मिला तलाशी में?
तलाशी के दौरान बोगी के सीटों के नीचे और लगेज रैक में छुपाकर रखी गई शराब की बोतलें बरामद की गईं। पुलिस के मुताबिक, शराब की खेप झारखंड या बंगाल की सीमा से लाई जा रही थी और उसे बिहार के अंदर तस्करी के लिए उतारा जाना था। जब्त शराब की कीमत लाखों रुपये में आंकी जा रही है।
तस्कर फरार, जांच जारी
जैसे ही रेलवे पुलिस ने तलाशी शुरू की, उसी समय संदिग्ध तस्कर मौके से भाग निकला। पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज और ड्रोन से प्राप्त चित्रों के आधार पर उसकी पहचान करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। तस्कर की गिरफ्तारी के लिए कटिहार सहित आसपास के रेलवे स्टेशनों पर अलर्ट जारी किया गया है।
RPF की तकनीकी सफलता
कटिहार आरपीएफ ने इस ऑपरेशन को तकनीकी निगरानी की सफलता बताया है। आरपीएफ अधिकारियों ने कहा कि तस्करों की गतिविधियां अब इतनी स्मार्ट और छुपी हुई होती जा रही हैं कि पारंपरिक निगरानी पर्याप्त नहीं है। ऐसे में ड्रोन, हाई-रेजोल्यूशन कैमरा और डिजिटल ट्रैकिंग जैसे उपायों का सहारा लिया जा रहा है।
आरपीएफ के एक अधिकारी ने कहा,
"शराबबंदी कानून को लागू करने में हम पूरी तरह गंभीर हैं। अब आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर तस्करी पर कड़ी निगरानी रखी जाएगी। यह ऑपरेशन इसका उदाहरण है।"
शराबबंदी के बाद बढ़ती तस्करी
बिहार में शराबबंदी 2016 से लागू है, लेकिन इसके बावजूद अवैध शराब की तस्करी लगातार बड़ी चुनौती बनी हुई है। तस्कर अब रेल, एंबुलेंस, दूध के कंटेनर, सब्जी की गाड़ियों तक का इस्तेमाल करने लगे हैं। ऐसे में पुलिस और आरपीएफ की हाईटेक निगरानी रणनीति को महत्वपूर्ण माना जा रहा है।