बिहार में टेंडर घोटाले की परतें खुलीं, ईडी ने शुरू की जांच, कंपनियों की मनमानी जारी
बिहार में एक बार फिर टेंडर घोटाले की साजिशों की परतें सामने आ रही हैं, और इस बार जांच की कमान प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के हाथों में है। हालात यह हैं कि राज्य में न सिर्फ पुराने टेंडर घोटाले उजागर हो रहे हैं, बल्कि वर्तमान में भी नियमों की अनदेखी कर कंपनियों को मनमाने तरीके से ठेके दिए जा रहे हैं। यह मामला राज्य के नगर विकास विभाग से जुड़ा हुआ है, जहां भ्रष्टाचार की जड़ें गहरी हो गई हैं और ठेकेदारी प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियाँ हो रही हैं।
ईडी ने अब तक डेढ़ दर्जन से ज्यादा कंपनियों से संबंधित जानकारी नगर विकास विभाग से मांगी है, लेकिन इन घोटालों की जांच अभी तक प्रभावी रूप से रुकती नहीं दिख रही। ईडी का दावा है कि उनके पास इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि टेंडर प्रक्रिया में दस्तावेजों में हेरफेर कर कई कंपनियाँ करोड़ों के ठेके हासिल कर रही हैं। इससे यह सवाल उठता है कि क्या विभाग ने जान-बूझकर इन घोटालों को अनदेखा किया है, या फिर इसके पीछे अन्य साजिशें हैं?
सूत्रों के अनुसार, नगर विकास विभाग में कई ऐसे विभागीय कर्मचारी और अधिकारी शामिल हैं, जो इन कंपनियों को मनमाने तरीके से ठेके देने में सहायक बने हुए हैं। ईडी ने विभाग से दस्तावेजों की मांग की है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि कितनी कंपनियों ने नियमों का उल्लंघन किया और किस तरह से उन्होंने ठेके प्राप्त किए। इसमें विशेष ध्यान दिया जा रहा है कि दस्तावेजों में किसी प्रकार की टेम्परिंग की गई हो या नहीं, जो ठेके हासिल करने के लिए ग़लत तरीके अपनाए गए हों।
ऐसा माना जा रहा है कि कई कंपनियाँ सरकारी नियमों को ताक पर रखकर ठेके प्राप्त करने में सफल रही हैं, और इसके लिए उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों और विभागीय कर्मचारियों के साथ सांठ-गांठ की है। यह न सिर्फ प्रशासनिक भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है, बल्कि राज्य के विकास कार्यों में भी गंभीर खामियाँ पैदा कर रहा है। इस तरह की गतिविधियाँ राज्य के विकास को प्रभावित कर रही हैं और जनता के पैसों की बर्बादी का कारण बन रही हैं।
हालांकि, राज्य सरकार ने इस मामले पर अभी तक कोई स्पष्ट बयान नहीं दिया है, लेकिन विपक्षी दलों ने इसे राज्य में भ्रष्टाचार और प्रशासनिक लापरवाही का खुला प्रमाण करार दिया है। विपक्ष का कहना है कि राज्य सरकार भ्रष्टाचार के मामलों को छुपाने में व्यस्त है और असल दोषियों के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई नहीं की जा रही है।
ईडी की जांच ने अब इस पूरे मामले को और भी जटिल बना दिया है, क्योंकि यह केवल पुराने घोटालों तक सीमित नहीं है, बल्कि वर्तमान में भी कई कंपनियों द्वारा अवैध रूप से ठेके लेने की प्रक्रिया चल रही है। अब यह देखना होगा कि ईडी की जांच किस दिशा में जाती है और क्या राज्य सरकार इस भ्रष्टाचार पर सख्ती से कार्रवाई करती है या फिर यह मामला समय के साथ ठंडा हो जाएगा।