सम्राट चौधरी के बयान पर कुशवाहा बुद्धिजीवी समाज का तीखा विरोध, प्रेसवार्ता कर जताई नाराजगी
7 जुलाई को आयोजित प्रियदर्शी सम्राट अशोक सम्मान समारोह में शामिल होकर मंच से दिए गए राज्य के मंत्री सम्राट चौधरी के बयान ने एक नया राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है। समारोह में कुशवाहा समाज के लोगों की बड़ी भागीदारी रही, लेकिन सम्राट चौधरी द्वारा मंच से विपक्षी दलों पर किए गए कटाक्ष और राजनीतिक टिप्पणियों को लेकर अब कुशवाहा बुद्धिजीवी समाज ने नाराजगी जताई है।
प्रेसवार्ता कर जताया विरोध
गुरुवार को पटना प्रेस क्लब में कुशवाहा बुद्धिजीवी समाज के प्रतिनिधियों ने प्रेसवार्ता कर सम्राट चौधरी के बयानों का विरोध किया। समाज के प्रमुख सदस्यों ने कहा कि –
"प्रियदर्शी सम्राट अशोक के नाम पर आयोजित एक गरिमामयी सामाजिक-सांस्कृतिक समारोह को राजनीतिक मंच में बदलना दुर्भाग्यपूर्ण है।"
उन्होंने यह भी कहा कि सम्राट अशोक का जीवन और दर्शन बौद्ध मूल्यों, शांति, करुणा और सामाजिक समरसता का प्रतीक है, लेकिन मंत्री सम्राट चौधरी ने मंच से राजनीतिक बयानबाजी कर आयोजन की गरिमा को ठेस पहुंचाई।
क्या बोले थे सम्राट चौधरी?
समारोह के दौरान मंत्री सम्राट चौधरी ने विपक्षी दलों पर तीखा हमला करते हुए कहा था कि
"कुछ पार्टियां केवल वोट बैंक के लिए सम्राट अशोक के नाम का इस्तेमाल करती हैं, लेकिन उनके विचारों और समाज सुधार के सिद्धांतों को कभी अपनाने की कोशिश नहीं करतीं।"
इस बयान को लेकर कुशवाहा समाज के बीच नाराजगी पनप गई है। समाज के नेताओं ने इसे जातीय भावनाओं और ऐतिहासिक प्रतीकों के राजनीतिक दोहन के रूप में देखा।
समाज की मांग
कुशवाहा बुद्धिजीवी समाज ने मांग की है कि
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मंत्री सम्राट चौधरी को अपने राजनीतिक बयान के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए।
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भविष्य में ऐसे सामाजिक आयोजनों को राजनीति से दूर रखा जाए।
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राज्य सरकार सम्राट अशोक की विरासत को राजनीतिक लाभ के बजाय सामाजिक एकता और शिक्षा के प्रचार-प्रसार में इस्तेमाल करे।