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जीतन राम मांझी के बयान से NDA में बढ़ी बेचैनी, डेवलपमेंट फंड में कमीशन लेने का किया दावा

 

केंद्रीय मंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (धर्मनिरपेक्ष) के सुप्रीमो जीतन राम मांझी अपने एक नए और सनसनीखेज बयान को लेकर सुर्खियों में आ गए हैं। मांझी के इस बयान ने एनडीए गठबंधन को असहज स्थिति में डाल दिया है और राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। उन्होंने दावा किया है कि देश में सभी सांसद और विधायक अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों के डेवलपमेंट फंड से कमीशन लेते हैं। यह बयान न सिर्फ विपक्ष को हमला करने का मौका दे रहा है, बल्कि सत्तारूढ़ गठबंधन के भीतर भी असहजता पैदा कर रहा है।

मांझी ने यह बयान हाल ही में हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (धर्मनिरपेक्ष) के एक कार्यक्रम के दौरान दिया। मंच से बोलते हुए उन्होंने कहा कि विकास कार्यों के लिए मिलने वाले फंड में कमीशन लेना एक आम बात बन चुकी है। उन्होंने यह भी दावा किया कि वे खुद भी कई बार अपना कमीशन पार्टी को दे चुके हैं। मांझी के इस कबूलनामे ने राजनीतिक विवाद को और गहरा कर दिया है।

अपने बयान में मांझी ने आगे कहा कि उन्होंने पार्टी नेताओं को यह सलाह भी दी थी कि इस पैसे का इस्तेमाल पार्टी के कामकाज और सुविधाओं के लिए किया जाए। यहां तक कि उन्होंने यह तक कहा कि पार्टी नेता उस रकम से कार भी खरीद सकते हैं। मांझी के इस बयान को लेकर राजनीतिक हलकों में तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं और सवाल उठ रहे हैं कि आखिर एक केंद्रीय मंत्री इस तरह का बयान सार्वजनिक मंच से कैसे दे सकता है।

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि मांझी का यह बयान एनडीए के लिए परेशानी का सबब बन सकता है। एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की बात करते रहे हैं, वहीं गठबंधन के एक वरिष्ठ नेता का इस तरह का दावा सरकार की छवि पर सवाल खड़े करता है। विपक्षी दलों ने इस बयान को हाथोंहाथ लिया है और इसे भ्रष्टाचार का खुला कबूलनामा करार दिया है।

विपक्ष का कहना है कि अगर मांझी का दावा सही है, तो इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। विपक्षी नेताओं ने मांग की है कि डेवलपमेंट फंड के इस्तेमाल की जांच कराई जाए और यह पता लगाया जाए कि आखिर कमीशनखोरी का यह खेल कितने बड़े स्तर पर चल रहा है। कुछ नेताओं ने तो मांझी से यह भी पूछा है कि अगर उन्हें यह सब पता था, तो उन्होंने पहले इसकी शिकायत क्यों नहीं की।

हालांकि, मांझी के समर्थकों का कहना है कि उन्होंने यह बयान सच्चाई सामने लाने के उद्देश्य से दिया है। उनका तर्क है कि मांझी हमेशा बेबाकी से अपनी बात रखते रहे हैं और सिस्टम में मौजूद खामियों की ओर ध्यान दिलाते रहे हैं। समर्थकों के मुताबिक, इस बयान को गलत तरीके से तोड़-मरोड़कर पेश किया जा रहा है।