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इंदौर-देवास बायपास और सांवेर मार्ग की जर्जर हालत पर दायर जनहित याचिका हाई कोर्ट ने की खारिज, पहले से विचाराधीन मामले का दिया हवाला

 

इंदौर-देवास बायपास और इंदौर-सांवेर मार्ग की जर्जर हालत को लेकर दायर की गई नई जनहित याचिका को मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने पहली ही सुनवाई में निराकृत कर दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इसी विषय पर पहले से ही एक जनहित याचिका विचाराधीन है, ऐसे में एक और नई याचिका दाखिल करने की आवश्यकता नहीं है।

अदालत ने याचिकाकर्ता को दिया सुझाव

कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि यदि याचिकाकर्ता अपनी बात रखना चाहते हैं, तो वे उसे पूर्व में दाखिल जनहित याचिका में समाहित कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें उस याचिका के तहत अंतरिम आवेदन (IA) दाखिल करने की छूट है। हाई कोर्ट का यह रुख न्यायिक प्रक्रियाओं की पुनरावृत्ति से बचने और पहले से चल रहे मामले को ही प्रभावी ढंग से सुनने की दिशा में एक व्यवस्थित प्रयास माना जा रहा है।

क्या था मामला?

इंदौर-देवास बायपास और इंदौर-सांवेर रोड की हालत पिछले कुछ वर्षों से बेहद खराब बनी हुई है। इन मार्गों पर चलने वाले वाहन चालकों को गहरे गड्ढे, धूल, जाम और दुर्घटनाओं का सामना करना पड़ता है। नागरिकों और सामाजिक संगठनों की ओर से इन सड़कों की मरम्मत की मांग लंबे समय से उठाई जा रही थी। हाल ही में एक सामाजिक कार्यकर्ता ने इस मुद्दे को लेकर नई जनहित याचिका दाखिल की थी।

कोर्ट का रुख स्पष्ट

हाई कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि न्यायालयिक समय और संसाधनों के प्रभावी उपयोग के लिए एक ही मुद्दे पर कई याचिकाएं दायर करना उचित नहीं है। इससे न्यायिक प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न हो सकती है और मामलों का समाधान विलंबित हो सकता है। इसलिए, पहले से चल रही याचिका के तहत ही सभी पक्ष अपनी बात रखें, जिससे निर्णय समग्र रूप से और शीघ्रता से लिया जा सके।

अगली सुनवाई में हो सकता है बड़ा फैसला

अब उम्मीद की जा रही है कि पूर्व से लंबित याचिका पर आगामी सुनवाइयों में हाई कोर्ट राज्य सरकार और संबंधित विभागों से जवाबदेही तय करने की दिशा में निर्देश जारी कर सकता है। स्थानीय लोग और सामाजिक कार्यकर्ता चाहते हैं कि इन प्रमुख मार्गों की मरम्मत को लेकर ठोस समयसीमा और जिम्मेदार एजेंसी तय की जाए।