बिहार विधानसभा सत्र में भारी हंगामा, तेजस्वी यादव ने लगाया बोलने से रोकने का आरोप
बिहार विधानसभा के मॉनसून सत्र के तीसरे दिन भी सदन में तीखी नोकझोंक जारी रही। इस दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच जोरदार बहस हुई और सदन की कार्यवाही भारी हंगामे के बीच स्थगित हो गई। हंगामे के बावजूद, सदन में कुछ मुद्दों पर चर्चा भी हुई। लेकिन सबसे अहम घटनाक्रम तब हुआ, जब आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया कि सदन में उन्हें बोलने नहीं दिया गया।
तेजस्वी यादव का बयान:
सदन की कार्यवाही समाप्त होने के बाद, तेजस्वी यादव ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि उन्हें बिहार विधानसभा के अंदर अपने विचार व्यक्त करने का पूरा मौका नहीं मिला। उन्होंने आरोप लगाया कि सत्ता पक्ष की ओर से उन्हें बोलने से रोकने की कोशिश की गई, जो लोकतंत्र की मर्यादा के खिलाफ है। उन्होंने कहा, “मैं सदन में अपनी बात रखने के लिए खड़ा हुआ था, लेकिन मुझे बोलने नहीं दिया गया। यह सरकार की तानाशाही है।”
हंगामे के दौरान चर्चा:
हालांकि हंगामे के बीच सदन में कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा भी हुई। विपक्ष ने सरकार से विभिन्न मसलों पर जवाब मांगा, जिनमें सड़क और पुलों की स्थिति, स्वास्थ्य सेवाएं, और शिक्षा जैसे मुद्दे शामिल थे। वहीं, सरकार ने विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए इसे राजनीति का हिस्सा बताया।
सत्ता पक्ष की ओर से विधानसभा अध्यक्ष ने हंगामे को शांत करने की कोशिश की, लेकिन विपक्ष ने अपनी बात पर जोर दिया। तेजस्वी यादव के आरोपों के बाद विपक्षी दलों ने भी नीतीश कुमार सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि वे लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा में नाकाम साबित हो रहे हैं।
सरकार की प्रतिक्रिया:
सरकार की ओर से विधानसभा के प्रमुख मंत्री ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि सदन में किसी को भी बोलने से रोकना कभी हमारी नीति नहीं रही। उन्होंने कहा, “तेजस्वी यादव को बोलने का मौका दिया गया था, लेकिन वे अपनी बात न सही तरीके से रख सके न ही सम्मानजनक तरीके से।”
सदन की कार्यवाही पर असर:
हंगामे के चलते सदन की कार्यवाही आधे घंटे के लिए स्थगित कर दी गई। इसके बाद, जैसे ही कार्यवाही दोबारा शुरू हुई, विपक्ष ने सदन में बहस की शुरुआत करते हुए आरोप लगाया कि सरकार काम करने के बजाय सत्ता की साजिश में लगी हुई है। इसके बाद, कार्यवाही में कोई भी महत्वपूर्ण निर्णय नहीं हो सका और सत्र स्थगित कर दिया गया।