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Gopalganj नवरात्र के आखिरी दिन 1 से 10 वर्ष के बीच की बालिकाओं को कराएं भोजन

 


बिहार न्यूज़ डेस्क !!! पुराणों में उल्लेख है कि नवरात्र में कुंवारी कन्याओं का विधि-विधान के अनुसार पूजन होना चाहिए और उसके बाद उनको भोजन करवाना चाहिए । इसी क्रम में बताया जा रहा है कि, राजा जन्मेजय के पूछने पर व्यास जी ने बताया है कि पूजा विधि में एक वर्ष की अवस्था वाली कन्या को भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिए । क्योंकि वह गंध और भोग आदि पदार्थों के स्वाद से बिल्कुल अनभिज्ञ रहती है । कुमारी कन्या वो होती हैं जो कम से कम 2 वर्ष की हो चुकी हो, 3 वर्ष की कन्या को त्रिमूर्ति और 4 वर्ष की कन्या को कल्याणी कहा जाता है । इसके आगे व्यास जी ने बताया कि, 05 वर्ष वाली को रोहिणी, 06 वर्ष वाली को कालिका, 07 वर्ष वाली को चंडीका, 8 वर्ष वाली को शांभवी, 9 वर्ष वाली को दुर्गा और 10 वर्ष वाली को सुभद्रा के नाम से जाना जाता हैं ।

इसके आगे आपको बता दें कि, शास्त्रों में इसके ऊपर अवस्था वाली कन्याओं का पूजन निषेध माना गया है । इसके आगे व्यास ने बताया कि, शत्रु का शमन करने के लिए भगवती कालिका की भक्ति पूर्वक आराधना करनी चाहिए । भगवती चंडिका की पूजा से ऐश्वर्य एवं धन की पूर्ति होती है। किसी को मोहित करने, दुख दारिद्र्य को हटाने तथा संग्राम में विजय पाने के लिए भगवती शांभवी की सदा पूजा करनी चाहिए । इसके अलावा यदि आपको कोई कठिन कार्य को सिद्ध करना है तो आपको भगवती दुर्गा की पूजा करनी चाहिए । यदि आपको कोई मनोरथ की सफलता चाहिए तो आपको भगवती सुभद्रा की सदा उपासना होनी चाहिए । मानव रोग नाश के लिए रोहिणी की निरंतर पूजा-अर्चना करनी चाहिए।

गोपालगंज न्यूज़ डेस्क !!!