गंगा के रौद्र रूप और 9 करोड़ की बर्बादी, ग्रामीणों में दहशत
बिहार में गंगा एक बार फिर रौद्र रूप में नजर आ रही है। बक्सर जिले के ममलखा पंचायत के चांयचक गांव में गंगा की तेज धारा ने प्रशासनिक दावों की पोल खोल दी है। कटाव रोकने के लिए 9 करोड़ रुपये की लागत से किया गया काम महज 9 घंटे भी गंगा के थपेड़ों को नहीं झेल सका।
तेज बहाव के चलते हजारों कटावरोधी जियो बोरियां देखते ही देखते नदी में समा गईं। इसके बाद कटाव की रफ्तार और तेज हो गई है। गांव के किनारे अब हर पल गंगा की धारा जमीन को निगलने में लगी है। गांव के लोग दहशत में हैं और कई परिवार मकान छोड़ने को मजबूर हो गए हैं।
प्रशासन पर लापरवाही का आरोप
ग्रामीणों का आरोप है कि प्रशासन ने घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया, जिसके कारण पूरा काम कुछ ही घंटों में ध्वस्त हो गया। ग्रामीणों का कहना है कि समय रहते ठोस इंतजाम नहीं किए गए। अब हालात ऐसे बन चुके हैं कि एक बड़ी आबादी बाढ़ और कटाव के खतरे के बीच फंसी है।
स्थानीय प्रशासन मौन
वहीं, प्रशासन की ओर से कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं आई है। मौके पर पहुंचे कुछ अधिकारियों ने जांच का आश्वासन दिया है, लेकिन अभी तक स्थायी समाधान को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
ग्रामीणों की मांग
ग्रामीणों ने सरकार से अपील की है कि जल्द से जल्द:
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मजबूत और टिकाऊ कटावरोधी कार्य कराया जाए,
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प्रभावितों को विकल्पीय जगह दी जाए,
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और प्रशासन की लापरवाही की जांच कर दोषियों पर कार्रवाई की जाए।
बाढ़ और कटाव की दोहरी मार झेल रहे इन इलाकों में अब निगाहें सरकार की तत्परता पर टिकी हैं।