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कोसी-मेची लिंक नहर परियोजना के पहले चरण की शुरुआत, 'नदी जोड़ो' योजना को मिली रफ्तार

 

केंद्र सरकार की बहुप्रतीक्षित कोसी-मेची अंतरराज्यीय लिंक नहर परियोजना को लेकर वर्षों से चल रही प्रतीक्षा आखिरकार खत्म होने जा रही है। 'नदी जोड़ो' योजना के तहत इस महत्त्वाकांक्षी परियोजना के पहले चरण के निर्माण कार्य की कवायद अब शुरू हो चुकी है। यह परियोजना न केवल बिहार बल्कि पूर्वोत्तर भारत की जल संसाधन संरचना में ऐतिहासिक बदलाव लाने की दिशा में बड़ा कदम मानी जा रही है।

क्या है कोसी-मेची लिंक नहर परियोजना?

यह परियोजना बिहार की कोसी नदी को मेची नदी से जोड़ने के उद्देश्य से बनाई गई है। कोसी नदी, जो अक्सर अपनी धारा बदलने और बाढ़ के कारण "बिहार की शोक" कहलाती है, के अतिरिक्त जल को मेची नदी की ओर मोड़कर इस क्षेत्र को सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण दोनों मामलों में राहत देने का लक्ष्य इस योजना के अंतर्गत है।

पहले फेज की शुरुआत: प्राथमिक कार्यों पर फोकस

प्राप्त जानकारी के अनुसार, परियोजना के पहले चरण में:

  • भूमि अधिग्रहण,

  • सर्वेक्षण कार्य,

  • और नहर की डिजाइनिंग जैसे तकनीकी कार्यों की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

जल संसाधन मंत्रालय की निगरानी में इन कार्यों को तेज़ी से अंजाम दिया जा रहा है, ताकि आने वाले महीनों में निर्माण का वास्तविक कार्य शुरू हो सके।

करोड़ों की लागत, लाखों को फायदा

कोसी-मेची लिंक परियोजना की कुल लागत कई हजार करोड़ रुपये आंकी गई है और यह परियोजना पूर्ण होने पर बिहार के अररिया, किशनगंज, सुपौल और मधेपुरा जिलों को लाभ पहुंचाएगी। इससे न केवल किसानों को साल भर सिंचाई का पानी मिलेगा, बल्कि कोसी क्षेत्र में बार-बार आने वाली बाढ़ से भी राहत मिलेगी।

विशेषज्ञों की राय

जल संसाधन विशेषज्ञों का मानना है कि यह परियोजना जल संसाधनों के सतत और समावेशी विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। नदी जोड़ो योजना के तहत देश में पहली बार दो नदियों को जोड़ने की यह परियोजना इतनी उन्नत स्तर पर पहुंची है।

सरकार की प्रतिबद्धता

राज्य सरकार और केंद्र सरकार, दोनों ने मिलकर इस योजना को शीघ्र और पारदर्शी रूप से पूर्ण करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। बिहार के जल संसाधन विभाग के अधिकारियों ने भी कहा है कि यह परियोजना राज्य के ग्रामीण जीवन और कृषि व्यवस्था में बड़ा बदलाव लाएगी

निष्कर्ष: