कोसी नदी का कटाव, ग्रामीणों में दहशत, प्रशासन ने लिया संज्ञान
कोसी नदी एक बार फिर खतरनाक कटाव की चपेट में आ गई है। चौथम प्रखंड के सिसुआ गांव में कोसी नदी के दाहिने तट पर तेज़ और खतरनाक कटाव से इलाके के ग्रामीणों में दहशत फैल गई है। नदी का बदलता मिजाज अब रिहायशी इलाकों और उपजाऊ खेतों के लिए सीधा खतरा बन चुका है, जिससे इलाके में लोगों की जीवन और संपत्ति के लिए जोखिम पैदा हो गया है।
नदी के कटाव का खतरा
सिसुआ गांव में हो रहे इस खतरनाक कटाव ने किसानों और ग्रामीणों को चिंता में डाल दिया है, क्योंकि नदी का बढ़ता जलस्तर और कटाव उनके खेतों और घरों को क्षतिग्रस्त कर सकता है। उपजाऊ जमीन के कटाव के कारण कृषि उत्पादन पर भी प्रतिकूल असर पड़ने की संभावना है। इसके साथ ही सड़कें और बुनियादी ढांचे भी खतरे में आ गए हैं।
प्रशासन की सक्रियता
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए जिलाधिकारी नवीन कुमार ने तत्काल संज्ञान लिया और बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल-2 (FCD-2), खगड़िया के अभियंताओं को मौके पर भेज कर स्थिति का निरीक्षण करने के निर्देश दिए थे। 5 जुलाई को अभियंताओं की एक टीम ने क्षेत्र का दौरा किया और स्थिति का जायजा लिया। टीम ने एक विस्तृत रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंपी, जिसमें कटाव की भयावहता का खुलासा हुआ।
रिपोर्ट में क्या आया सामने?
रिपोर्ट के अनुसार, कोसी नदी के कटाव की गति और इसके प्रभाव से यह स्पष्ट हो गया है कि यदि तत्काल कोई उपाय नहीं किया गया, तो यह स्थानीय निवासियों और उनकी संपत्ति के लिए एक बड़ा खतरा बन सकता है। रिपोर्ट में नदी के बढ़ते कटाव से निवास क्षेत्रों और कृषि क्षेत्रों के लिए एक बड़ी आपातकालीन स्थिति पैदा होने की संभावना व्यक्त की गई है।
आगामी कदम
जिलाधिकारी ने अधिकारियों को जल्द से जल्द बचाव कार्यों को गति देने और नदी के कटाव को रोकने के उपायों को लागू करने के निर्देश दिए हैं। इसके तहत, नदी के किनारे पर कटाव रोकने के लिए तटबंधों का निर्माण, मिट्टी के बैरिकेड्स लगाने और अन्य तकनीकी उपायों पर विचार किया जा रहा है।
स्थानीय लोगों की चिंताएँ
स्थानीय ग्रामीणों और किसानों का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों से कोसी नदी का रुख बदल चुका है और हर साल बढ़ते कटाव ने उनके घरों और खेतों को नुकसान पहुँचाया है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि इस समस्या का समाधान नहीं किया गया, तो उनका जीवन और आजीविका खतरे में पड़ जाएगी।