मुजफ्फरपुर की मेयर निर्मला देवी को दो वोटर कार्ड रखने पर चुनाव आयोग का नोटिस
शहर की मेयर निर्मला देवी को चुनाव आयोग की तरफ से नोटिस भेजा गया है। यह नोटिस उन पर लगे आरोपों के मद्देनजर जारी किया गया है कि उनके पास दो वोटर कार्ड हैं। चुनाव आयोग ने मेयर से सावधानीपूर्वक लिखित जवाब मांगा है, जिसमें उन्हें इस मामले में अपना पक्ष स्पष्ट करना होगा।
इस मामले को लेकर बिहार की सियासत में हलचल मच गई है। राजद नेता तेजस्वी यादव ने मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में निर्मला देवी पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने दावा किया कि मेयर के पास दो वोटर कार्ड होना चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता के लिए चिंता का विषय है और इसे लेकर गंभीर जांच की जानी चाहिए। तेजस्वी यादव ने कहा कि ऐसे मामलों से लोकतंत्र की भावना पर असर पड़ता है और निर्वाचन प्रक्रिया में विश्वास घटता है।
चुनाव आयोग ने मामले की जांच के लिए नोटिस भेजते हुए मेयर को सख्त निर्देश दिए हैं कि वे जल्द से जल्द जवाब दाखिल करें। आयोग का कहना है कि यदि मेयर का जवाब संतोषजनक नहीं पाया गया या आरोप सही साबित हुए, तो इस मामले में कानूनी कार्रवाई और चुनाव से अयोग्यता जैसी कार्रवाई की जा सकती है।
निर्मला देवी और उनके समर्थक इस आरोप को राजनीतिक रूप से रंग देने की कोशिश बता रहे हैं। मेयर के करीबी सूत्रों का कहना है कि यह मामला पूरी तरह राजनीतिक बयानबाजी और विपक्ष की चाल हो सकती है। उन्होंने कहा कि मेयर अपना जवाब चुनाव आयोग के समक्ष पेश करेंगी और सभी सवालों का संतोषजनक उत्तर देंगी।
सियासी गलियारों में इस मामले को लेकर चर्चा तेज है। राजद और अन्य विपक्षी दल इसे सरकारी पदों पर भ्रष्टाचार और अनियमितताओं का उदाहरण बताते हुए चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं, मेयर समर्थक इसे भ्रांतिपूर्ण आरोप और झूठे प्रचार के रूप में खारिज कर रहे हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि चुनाव आयोग की यह कार्रवाई निर्वाचन प्रक्रिया की पारदर्शिता और न्यायिक निगरानी को मजबूत करने के लिहाज से महत्वपूर्ण है। दो वोटर कार्ड जैसी स्थिति किसी भी निर्वाचित पदाधिकारी की विश्वसनीयता और वैधता पर प्रश्न उठा सकती है। इसलिए आयोग का यह कदम सही और समयोचित माना जा रहा है।
इस मामले की आगे की दिशा इस बात पर निर्भर करेगी कि निर्मला देवी का जवाब आयोग को कितना संतोषजनक लगता है और जांच के दौरान अन्य पहलू सामने आते हैं या नहीं। यदि आरोप सही पाए जाते हैं, तो राजनीतिक और प्रशासनिक स्तर पर इसके व्यापक परिणाम देखने को मिल सकते हैं।
मुजफ्फरपुर में इस मामले ने न केवल राजनीतिक हलकों में हड़कंप मचा दिया है, बल्कि आम नागरिकों में भी चुनाव प्रणाली की पारदर्शिता और भरोसे को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं।