विकास, भ्रष्टाचार, अपराध और अब चुनाव आयोग पर संग्राम
इस बार बिहार के चुनावी दंगल में विकास, सुशासन, बेरोजगारी, सड़क, बिजली, पानी और कानून व्यवस्था, भ्रष्टाचार के साथ-साथ चुनाव आयोग खुद भी एक मुद्दा बन गया है। इस बार यह नया मुद्दा पूरी ताकत के साथ राजनीतिक अखाड़े में उतरा है। इस मुद्दे पर सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के तेवर तल्ख हो गए हैं। राजद नेता तेजस्वी यादव के बाद अब डिप्टी सीएम विजय सिन्हा का नाम चुनाव आयोग की मतदाता सूची में दो जगहों पर आने को लेकर फिर से बवाल शुरू हो गया है। वहीं, कर्नाटक के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने विपक्ष के नेता राहुल गांधी को चुनाव आयोग पर घोटाले का आरोप लगाने पर नोटिस भेजा है।
दरअसल, अगले कुछ महीनों में विधानसभा चुनाव होने हैं। इसके लिए सत्ता पक्ष और विपक्ष की ओर से मुद्दों का आधार तैयार किया जा रहा था। इस बीच, चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची की विशेष गहन जांच (एसआईआर) ने बिहार समेत देश में एक नई चर्चा शुरू कर दी है। विपक्षी कांग्रेस और राजद इसे लोकतंत्र पर हमला और गरीबों, दलितों, अल्पसंख्यकों और पिछड़े वर्गों से वोट का अधिकार छीनने की साजिश बता रहे हैं। वहीं दूसरी ओर, सत्तारूढ़ भाजपा और जदयू ने इसे घुसपैठियों और गैर-भारतीय मतदाताओं को बाहर निकालने का अभियान बताया है।
चुनाव आयोग: नया अखाड़ा, नए हमले
चुनाव आयोग ने लगभग 65 लाख लोगों के नाम मतदाता सूची से हटा दिए हैं। संशोधन में अनियमितताओं और निष्पक्ष चुनाव को लेकर संदेह के चलते विपक्षी खेमे में रोष व्याप्त है। राजद और कांग्रेस ने इसे "लोकतंत्र पर सीधा हमला" बताया है, जबकि सत्तारूढ़ दल इसे प्रक्रिया की शुचिता बता रहा है। यह मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुँच गया है। अब आयोग पर वेबसाइट से इलेक्ट्रॉनिक मतदाता सूची हटाकर उसकी स्कैन कॉपी अपलोड करने का आरोप लगा है। कांग्रेस और राजद नेताओं का दावा है कि ऐसा करने से कंप्यूटर और एआई के लिए आयोग में अनियमितताओं को पकड़ना मुश्किल हो जाएगा।