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बिहार में अपराध बेलगाम, जदयू नेता के पिता की बेरहमी से हत्या, कानून-व्यवस्था पर फिर उठे सवाल

 

बिहार में एक तरफ जहां आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक हलचल तेज़ है, वहीं दूसरी तरफ राज्य में अपराध की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। ताज़ा मामला रोहतास जिले से सामने आया है, जहां जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के युवा प्रखंड अध्यक्ष के पिता की धारदार हथियार से हत्या कर दी गई। यह घटना तिलौथू थाना क्षेत्र के अमरा गांव की है, जहां मृतक गांव में स्थित गोशाला में मौजूद थे। अज्ञात अपराधियों ने वहां घुसकर इस निर्मम हत्याकांड को अंजाम दिया।

सूत्रों के मुताबिक, हत्या को बेहद योजनाबद्ध ढंग से अंजाम दिया गया है। मृतक की पहचान जदयू प्रखंड अध्यक्ष के पिता के रूप में हुई है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि हमलावरों का निशाना एक राजनीतिक परिवार था। घटना के बाद से न केवल अमरा गांव बल्कि आसपास के इलाकों में भी भय और आक्रोश का माहौल है।

स्थानीय प्रशासन की भूमिका पर उठे सवाल

इस हत्या के बाद से कानून-व्यवस्था को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं। घटनास्थल पर पहुंची पुलिस ने जांच शुरू कर दी है, लेकिन अभी तक किसी भी आरोपी की पहचान नहीं हो पाई है। ग्रामीणों का आरोप है कि तिलौथू थाना प्रशासन पहले भी कई बार इस क्षेत्र में हो रही आपराधिक गतिविधियों को लेकर सतर्क किया गया था, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

घटना के विरोध में ग्रामीणों ने सड़क जाम कर प्रदर्शन भी किया और दोषियों की जल्द गिरफ्तारी की मांग की। इस घटना ने एक बार फिर से यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या बिहार में चुनावी तैयारियों के बीच अपराध नियंत्रण प्रशासन की प्राथमिकता में शामिल है या नहीं?

नीतीश सरकार की साख पर सवाल

यह घटना ऐसे समय में सामने आई है, जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हाल ही में राज्य के लिए कई लोकलुभावन घोषणाएं की हैं, जिनमें सभी घरेलू उपभोक्ताओं को 1 अगस्त 2025 से 125 यूनिट तक मुफ्त बिजली देने की बात शामिल है। इस योजना से बिहार के करीब 1 करोड़ 67 लाख परिवारों को सीधा फायदा मिलेगा। इसके अलावा अगले तीन वर्षों में इन परिवारों के घरों या सार्वजनिक स्थानों पर सौर ऊर्जा संयंत्र भी लगाए जाएंगे।

लेकिन जिस तरह से अपराध की घटनाएं बढ़ रही हैं, उससे सरकार की कानून-व्यवस्था कायम रखने की नीयत और क्षमता पर सवाल उठने लगे हैं। हाल ही में राजधानी पटना के गांधी मैदान थाना के थाना प्रभारी राजेश कुमार को सस्पेंड भी किया गया था, क्योंकि वह लगातार कानून-व्यवस्था संभालने में विफल पाए गए।

जरूरत है कड़े कदमों की

जदयू नेता के पिता की हत्या ने न सिर्फ एक राजनीतिक परिवार को सदमे में डाल दिया है, बल्कि यह आम जनता के बीच भी डर का माहौल पैदा कर रहा है। चुनावी वादों और घोषणाओं के साथ-साथ सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि वह राज्य में जन सुरक्षा सुनिश्चित करे। यदि अपराधियों को इसी तरह छूट मिलती रही तो आने वाले चुनावों में जनता का विश्वास जीतना मुश्किल हो जाएगा।