'डॉग बाबू' के नाम से जारी आवास प्रमाण-पत्र पर बवाल, एक अधिकारी निलंबित, एक कर्मी सेवा से बर्खास्त
बिहार की राजधानी पटना में अजीबोगरीब सरकारी लापरवाही सामने आई है। मसौढ़ी अंचल से संबंधित एक व्यक्ति को नहीं, बल्कि "डॉग बाबू" के नाम से आवास प्रमाण-पत्र जारी कर दिया गया। जैसे ही यह मामला सामने आया, जिला प्रशासन हरकत में आया और त्वरित कार्रवाई करते हुए एक अधिकारी के निलंबन की अनुशंसा की गई, जबकि एक अन्य कर्मी को सेवा से मुक्त कर दिया गया है।
यह मामला सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर भी काफी चर्चा में आ गया। "डॉग बाबू" नाम से प्रमाण-पत्र जारी होना प्रशासनिक प्रणाली की गंभीर खामी और लापरवाही को उजागर करता है। मामले की गंभीरता को देखते हुए सरकार ने पटना के जिलाधिकारी डॉ. त्यागराजन एसएम को पूरे प्रकरण की जांच का जिम्मा सौंपा है।
क्या है मामला?
मसौढ़ी अंचल कार्यालय से आवास प्रमाण-पत्र उस व्यक्ति के नाम पर जारी किया जाना था जो योजना का लाभ लेना चाहता था, लेकिन अर्जी में कथित तौर पर "डॉग बाबू" दर्ज कर दिया गया, और बिना उचित सत्यापन के यही नाम प्रमाण-पत्र में दर्ज हो गया। इससे न केवल सरकारी रिकॉर्ड की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े हुए, बल्कि यह दर्शाता है कि जमीनी स्तर पर बिना जांच के दस्तावेज तैयार किए जा रहे हैं।
प्रशासन की त्वरित कार्रवाई
इस लापरवाही को गंभीरता से लेते हुए जिला प्रशासन ने संबंधित राजस्व कर्मचारी को सेवा से तत्काल बर्खास्त कर दिया है। साथ ही एक राजस्व अधिकारी के निलंबन की अनुशंसा की गई है। पटना डीएम डॉ. त्यागराजन एसएम ने कहा कि इस तरह की घटनाएं प्रशासन की छवि को धूमिल करती हैं और किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं की जाएंगी।
सरकार ने दिए जांच के आदेश
राज्य सरकार ने इस पूरे मामले की विस्तृत जांच के आदेश दिए हैं। जांच के बाद यह तय होगा कि किस स्तर पर गलती हुई और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कौन-कौन से तकनीकी और प्रशासनिक उपाय अपनाए जाएंगे।
प्रश्नों के घेरे में ऑनलाइन सिस्टम और वेरिफिकेशन प्रक्रिया
यह मामला उस समय और गंभीर हो जाता है जब राज्य सरकार डिजिटल इंडिया और ऑनलाइन सेवाओं की बात करती है। इस त्रुटि ने यह भी उजागर किया है कि ऑनलाइन आवेदनों की जांच और सत्यापन प्रक्रिया में बड़े सुधार की आवश्यकता है।